हम इतिहास के इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते कि भारत के महान् सपूत महाराणा प्रताप की पुण्यतियों की तिथि 19 जनवरी है या 29 जनवरी। किंतु, इतना जरूर है कि 19 जनवरी को बहुत से स्थानों पर जब महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये जा रहे हैं तो ऐसे समय में कई खिलाड़ियों के घायल होते हुए भी भारतीय क्रिकेट के सूरमाओं ने खेल के मैदान में महाराणा प्रताप के शौर्य की तरह बाजी पलटने वाला कारनामा कर दिखाया।
श्रृंखला का पहला मैच हार गया था भारत
उल्लेखनीय है कि अकबर से हल्दीघाटी के युद्ध में हार को नजदीक देखकर महाराणा प्रताप ने खुद को जंगलों में आड़ में छिपा लिया था और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी आत्मशक्ति के बूते चित्तौड़गढ़ और मांडलगढ़ को छोड़कर पूरे मेवाड़ पर अपना राज्य पुनः स्थापित कर लिया था। उस दौरान जबकि महाराणा प्रताप जंगलों में भटक रहे थे, अकबर की नींद हराम ही रही।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही है। चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला मैच भारत हार चुका था और दूसरा मैच शुरू होने से पहले भारतीय टीम के नियमित कप्तान और धाकड़ बल्लेबाज विराट कोहली पितृत्व अवकाश लेकर भारत लौट चुके थे।
अंतिम टेस्ट मैच तक चोटिल हो गये प्रमुख खिलाड़ी
ऐसे में उपकप्तान अजिंक्या रहाणे ने कप्तानी की बागडोर संभाली और कप्तानी पारी खेलते हुए दूसरा टेस्ट मैच 8 विकेट से जिताकर भारत को श्रृंखला में बराबरी पर ला खड़ा किया। तब तक भारत के प्रमुख चोटिल हो गये थे। प्रमुख किंतु घायल खिलाड़ियों के बिना खेलते हुए भारत ने किसी तरह से तीसरे टेस्ट मैच में मंडरा रही हार का खतरा टाला।
इसके बाद गब्बा के मैदान पर चौथा टेस्ट मैच खेलने उतरी भारतीय टीम। इस टीम से मोहम्मद शमी और उमेश यादव पहले ही चोट के कारण बाहर हो गये थे। इसके बाद हनुमा विहारी, जसप्रीत बुमरा, केएल राहुल, रवींद्र जड़ेजा और आर. अश्विन भी चोटों के कारण बाहर बैठ गये। हालांकि ऋषभ पंत भी चोटिल थे किंतु वे दर्द निवारक लेकर बल्लेबाजी करने लायक थे।
मैच ही नहीं सीरीज भी जीती
आखिरकार, भारतीय टीम को चौथे टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज, शुभमन गिल, टी. नटराजन और शार्दुल ठाकुर जैसे नये व अपेक्षाकृत कम अनुभवी खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरना पड़ा। ब्रिस्बेन में हो रहे इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले खेलते हुए 369 रन बनाये। इसके जवाब में भारतीय टीम 336 रनों के स्कोर पर आउट हो गई। फिर ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरी पारी में मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर के सामने 294 रन ही बना सकी।
इस तरह भारतीय टीम को जीत के लिए 328 रनों की चुनौती मिली। भारत ने शुभमन गिल (91), चेतेश्वर पुजारा (56) और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत (89*) शानदार पारियों की बदौलत जीत का लक्ष्य हासिल किया और गब्बा मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को जमीन सुंघा दी। भारत ने तीन विकेट से ऑस्ट्रेलिया को न केवल हराया बल्कि हाथ जाती सीरीज पर भी कब्जा जमा लिया।
महाराणा प्रताप सा शौर्य
जिस तरह से भारत ने पहले टेस्ट को गंवाने के बाद दूसरा टेस्ट मैच जीता। फिर प्रमुख खिलाड़ियों के चोटिल होने का सिलसिला शुरू हुआ और उसने तीसरा टेस्ट मैच बचाया। और अंत में, चौथे टेस्ट मैच की पहली पारी में पिछड़ने के बावजूद दूसरी पारी में जबर्दस्त शौर्य का प्रदर्शन किया, वह महाराणा प्रताप के वैसे ही शौर्य की भांति ही रहा जिसमें उन्होंने हार को सन्निकट देख कदम पीछे खींच लिये थे और वापस अकबर से हार चुके मेवाड़ के किलों को फिर से जीत लिया था।