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अपनी रणनीति बदल केंद्र सरकार कर सकती है जातिगत जनगणना की घोषणा..!

65 फीसदी ओबीसी वोटरों को कांग्रेस के पाले में जाने से बचाने के लिए भाजपा बदलेगी अपनी आइडियोलॉजी

5 राज्यों के चुनाव के बाद हो सकती है बड़ी घोषणा

कर्नाटक के चुनावों में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की। इसके बाद से ही राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता जातिगत जनगणना की मांग उठा रहे हैं। पांच राज्यों के चुनावों में भी कांग्रेस की ओर से इसे सबसे प्रमुख मुदृा बनाया गया है, जिससे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस की नींदें उड़ गई है। कहा जा रहा है कि 65 फीसदी ओबीसी वोटरों को कांग्रेस के पाले में जाने से बचाने के लिए आरएसएस और भाजपा अपनी जातिगत जनगणना को भी मंजूरी दे सकती है।
अभी तक आरएसएस और भाजपा जातिगत जनगणना का विरोध करती आई है और इसे हिन्दू वोटरों को बांटने का कुचक्र बताती आई है लेकिन अब ओबीसी वर्ग के वोट छिटकता देखकर भाजपा और आरएसएस की इस सोच पर फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
इन परिस्थितियों में संघ परिवार ने जातिगत गनगणना को लेकर अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया गया है। भाजपा और संघ के इस कदम से कांग्रेस और आईएनडीआई गठबंधन की लोकसभा चुनावों के लिए बनाई गई सारी रणनीति पर भी पानी फिर जाएगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पांच राज्यों के परिणाम आने के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार जातिगत जनगणना की घोषणा कर सकती है। य​ह लोकसभा चुनावों के लिए सिर्फ घोषणाभर नहीं होगी बल्कि चुनावों से पहले इस पर काफी काम हो चुका होगा। इससे देशभर के 65 फीसदी ओबीसी वोट बैंक का भाजपा पर विश्वास बढ़ेगा और वह कांग्रेस और गठबंधन की ओर शिफ्ट होने से बच जाएगा।
इसलिए पड़ी जरूरत
भाजपा सूत्रों का कहना है कि 60 सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद कभी कांग्रेस ने जातिगत जनगणना कराने की कोई कोशिश नहीं की जबकि इसकी मांग शुरुआत से ही उठती आ रही थी। वर्ष 2011 में जातिगत आधार पर जनगणना हुई लेकिन कांग्रेस ने उसके आंकड़े भी घोषित नहीं किए। पिछले एक साल में कांग्रेस ने अपने सुर बदले हैं और लगातार जातिगत जनगणना का राग अलापा जा रहा है। कांग्रेस की बदली रणनीति से भाजपा के कान खड़े हुए तो वह मामले की तह में गई और पाया कि कांग्रेस के पास केंद्र की सत्ता में आने के बड़े मुदृे नहीं है, ऐसे में वह 65 फीसदी ओबीसी वोट बैंक के भरोसे केंद्र की सत्ता में आना चाह रही है।
इस खुलासे के बाद भाजपा और आरएसएस को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है। अगर भाजपा रणनीति नहीं बदलती है तो आगामी लोकसभा चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ओबीसी का युवा वर्ग अब काफी समझदार हो चुका है और भाजपा की रणनीति में नहीं फंसकर 70 सालों में ओबीसी वर्गों के साथ हुई धोखाधड़ी का हिसाब मांग रहा है। कांग्रेस की ओर से हवा दिए जाने के बाद अब ओबीसी वर्ग खुलकर कह रहे हैं कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। ओबीसी वर्गों की इस मांग को रोक पाना अब भाजपा के बूते से बाहर हो चुका है। इस मांग को यदि दबाया जाएगा तो भाजपा को केंद्र की सरकार से हाथ धोना पड़ सकता है।

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