यूं तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के कई फैसले और घोषणा बहुत की चौंकाने वाले होते हैं लेकिन 12 अगस्त की उसकी ओर से एक अजीबोगरीब फैसला किया गया था। कर्नाटक राज्य सरकार 12 अगस्त को एसबीआई और पीएनबी के साथ सभी तरह के ट्रांजेक्शन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश में कर्नाटक सरकार ने राज्य के विभिन्न विभागों को इन बैंकों में अपने खाते बंद करने और अपनी जमाराशि को निकालने का भी निर्देश जारी किया था। लेकिन, अब राज्य सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ ट्रांजेक्शन को लेकर दिया आदेश 15 दिन के लिए टाल दिया है।
बता दें कि कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने 12 अगस्त को एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें एसबीआई और पीएनबी के साथ अपने सभी विभागों, बोर्ड, निगमों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और यूनिवर्सिटी को सभी तरह का सरकारी लेनदेन बंद करने का आदेश दिया था। अब मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने दोनों बैंकों की तरफ से किए गए अनुरोध पर गौर करने के लिए इस फैसले को फिलहाल टालने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि बैंकों के अनुरोधों पर विचार करने के बाद मुख्यमंत्री ने इन निर्णय को 15 दिन के लिए टालने का निर्देश दिया है।
इसलिए लगाई थी पाबंदी
सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि एसबीआई और पीएनबी में न तो किसी प्रकार की रकम जमा की जानी चाहिए और न ही किसी तरह का इन्वेस्टमेंट। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार में वित्त विभाग के सचिव डॉ पीसी जाफर द्वारा जारी यह निर्देश इन दोनों बैंकों में जमा सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों के बीच आया था। इसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि कथित दुरुपयोग के बारे में कई बार चेतावनियां दिए जाने के बाद भी एसबीआई और पीएनबी ने अपनी तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसी कारण दोनों बैंकों के साथ ट्रांजेक्शन पर कोई लगाई जाती है।
फैसला टालने से मिलेगा समय
राज्य सरकार ने अपने बयान में कहा है कि फिलहाल इस बैन को टालने से बैंकों और सरकार दोनों को संबंधित मुद्दे सुलझाने और सरकार की चिंताओं को दूर करने का पर्याप्त समय मिलेगा। बयान के मुताबिक, सरकार अपने सभी लेन-देन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने कहा कि हम स्थिति की निगरानी करना जारी रखेंगे और सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए उचित कार्रवाई करेंगे।
कैग की रिपोर्ट के बाद लिया था फैसला
राज्य सरकार ने कहा कि लोक लेखा समिति की टिप्पणियों और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में शामिल निष्कर्षों के आधार पर 12 अगस्त को आदेश जारी किया गया था। उसमें सभी विभागों को अपनी जमा राशि वापस लेने और एसबीआई और पीएनबी की सभी शाखाओं में आगे कोई रकम जमा न करने का निर्देश दिया गया था। बयान के मुताबिक, यह कार्रवाई बैंक शाखाओं में कथित धोखाधड़ी के जवाब में की गई थी। इसके परिणामस्वरूप कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) और कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) की ओर से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की रकम का रीपेमेंट नहीं किया गया।