कचरा और मलबा डालने वालों पर होगी एफआईआर
राजधानी जयपुर के करतारपुरा नाले के बहाव क्षेत्र को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajastan High Court) द्वारा जेडीए से स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद जेडीए ने नाले के लिए नई कार्ययोजना तैयार की है। जेडीसी गौरव गोयल की अध्यक्ष्यता में शुक्रवार को नाला बहाव क्षेत्र में अतिक्रमणों की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, जेडीए, नगर निगम के अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक आयोजित हुई और जिला कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त वर्चुअल रूप से बैठक से जुड़े। बैठक में नाले के लिए दो तरह की कार्ययोजना तैयार की गई। जिसमें एक अल्पकालिक तो दूसरी दीर्घकालिक योजना है।
अल्पकालिक कार्ययोजना के तहत जेडीए की अभियांत्रिकी शाखा द्वारा करतारपुरा नाले के कार्यों के लिए कार्यादेश जारी किये जायेंगे, जेडीए की प्रवर्तन शाखा, जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस, जेडीए जोन कार्यालय द्वारा सामुहिक अभियान चलाया जायेगा, पूर्व में जिन लोगों द्वारा बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया गया है उनकी सूची तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जायेगी, जेडीए की अभियांत्रिकी शाखा द्वारा ड्रोन सर्वे करवाकर बहाव क्षेत्र की वस्तुस्थिति स्पष्ट की जायेगी, नाले के बहाव क्षेत्र की सम्पर्क सड़कों पर सीसी टीवी कैमरे लगाये जायेंगे।
जिनका संचालन अभय कमाण्ड सेंटर से किया जायेगा, सवाई माधोपुर रेलवे लाईन से गुर्जर की थड़ी तक कच्चे नाले क्षेत्र में अतिक्रमण की रोकथाम के लिए प्रवर्तन शाखा, सर्तकता शाखा, स्थानीय पुलिस द्वारा 9 गश्ती दल बनाकर प्रभावी निगरानी की जायेगी। प्रत्येक 500 मीटर पर एक गश्ती दल नियुक्त किया जायेगा, नाले में कचरा एवं मलबा डालने वाले लोगों की पहचान कर स्थानीय पुलिस थाने द्वारा मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।
वहीं दीर्घकालीन योजना के तहत तहसीलदार जयपुर द्वारा राजस्व रिकार्ड से परीक्षण कर बहाव क्षेत्र संबंधित रिपोर्ट 15 दिवस में प्रस्तुत की जायेगी, जेडीए की अभियांत्रिकी शाखा द्वारा एमएनआईटी (MNIT) के विशेषज्ञों द्वारा बहाव क्षेत्र का सर्वे कराया जायेगा, तहसीलदार जयपुर द्वारा खातली भूमि को पुन: नाले की भूमि मानते हुए प्रस्ताव तैयार किया जायेगा, नाले की विकास परियोजना बाबत पुन: आकलन करते हुए जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को प्रस्ताव भेजा जाएगा, जोन उपायुक्त द्वारा नाला बहाव क्षेत्र की भूमि का भू-रूपांतरण आगामी आदेशों तक नहीं किया जायेगा और निर्माण स्वीकृति भी नहीं होगी।