भोपालराजनीति

भाजपा के सामूहिक नेतृत्व के दांव ने मध्य प्रदेश में उलझा दिया सियासी समीकरण

मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनावी शंखनाद हो चुका है। हालांकि तारीखों के एलान से पहले ही इन राज्यों में सियासी सरगर्मियां शीर्ष पर पहुंच चुकी थीं। अब अपना वोट बैंक संभालने के साथ पकड़ और मजबूत करने के लिए सभी दलों ने ताकत झोंक दी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का मजबूत गढ़ माने जाने वाले मध्यप्रदेश में इस बार सियासी समीकरण बदले-बदले नजर आ रहे हैं। खासतौर से भाजपा के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने के फैसले से राज्य के सियासत की तस्वीर दिलचस्प हो गई है। सत्ता बचाने के लिए पार्टी ने इस बार राज्य के अलग-अलग क्षत्रपों को अपना अपना क्षेत्र बचाने की जिम्मेदारी दी है। दूसरी ओर, कांग्रेस की कोशिश ऑपरेशन लोटस के जरिये गंवाई सत्ता को फिर से हासिल करने की है।
दिलचस्प यह है कि इस बार चुनावी जंग में भाजपा व कांग्रेस ने चेहरे के सवाल पर चुप्पी साध ली है। भाजपा ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर सीएम शिवराज सिंह चैहान के भविष्य पर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी बीते चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनाए गए कमलनाथ को चेहरा बनाने की घोषणा नहीं की है।
पीएम मोदी होंगे चुनावी चेहरा
भाजपा ने अपने सबसे बड़े ब्रांड पीएम मोदी को आगे किया है, वहीं कांग्रेस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत दूसरे नेताओं की अलग-अलग भूमिका तय की है। खोई सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में जुटी है। पार्टी ओबीसी से जुड़े सवालों को केंद्र में लाने के साथ दलित-आदिवासियों में पैठ बनाने की कोशिश में है। शहरी वोट को साधने के लिए प्रियंका को तो आदिवासी-दलितों के बीच राहुल को भेजने का फैसला किया है।
तीन केंद्रीय मंत्री, सात सांसद मैदान में
शिवराज को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करने के साथ ही भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा। भाजपा नेतृत्व ने इन क्षत्रपों को अपने-अपने संभाग में अपना आधार साबित करने की जिम्मेदारी दी है। पार्टी का मानना है कि इस दांव से संदेश गया है कि अपने संभाग में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को सीएम का पद मिल सकता है। ऐसे में ये सभी दिग्गज नेता पूरी ताकत लगाएंगे।
महिला वोट बैंक पर जंग
राज्य में मामा के नाम से मशहूर शिवराज ने भाजपा के लिए आधी आबादी केंद्रित कई योजनाओं के जरिये महिला वोट बैंक तैयार किया है। इस बीच उन्होंने सरकारी नौकरी में आधी आबादी को 35 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है। बीते महीने ही संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित हुआ है। पार्टी की कोशिश इसके जरिये इस वोट बैंक को साधे रखने की है।
सुरक्षित सीटों पर सबका जोर
राज्य की 82 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। बीते चुनाव में इन सीटों पर औसत प्रदर्शन ने भाजपा को सत्ता से दूर किया था। पार्टी इन सीटों पर अपना खोया आधार वापस पाना चाहती है। इसी उद्येश्य से पार्टी ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर कांग्रेस की निगाहें भी इन्हीं सीटों पर है। इसके लिए पार्टी ने राहुल गांधी को मोर्चे पर लगाने का फैसला किया है।
ये हैं मुख्य चुनावी मुद्दे
कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था और वंचित वर्ग के खिलाफ अत्याचार जैसे मामले को चुनावी मुद्दा बना रही है। दूसरी ओर भाजपा हिंदुत्व और विकास के नारे के साथ मैदान में है। पार्टी राज्य की नकद प्रोत्साहन योजनाओं के साथ केंद्रीय योजनाओं का सहारा ले रही है।
शिवराज को करना पड़ा चौथी सूची का इंतजार
मध्य प्रदेश के लिए पार्टी ने इससे पहले जारी तीन सूची में सीएम शिवराज के नाम की घोषणा नहीं की थी। 57 उम्मीदवारों की चौथी सूची में उन्हें एक बार फिर से बुधनी सीट से मौका दिया गया है। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी पुरानी सीट दतिया से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी अब तक 136 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसी हफ्ते राजस्थान की बची 159, मध्यप्रदेश की 94 और छत्तीसगढ़ की 5 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी। इसके साथ ही पार्टी इसी हफ्ते तेलंगाना के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी।

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