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महिलाओं ने तोड़ी समाज की धारणाएं, बनाई नई पहचान

जयपुर। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार एक असाधारण अवधारणा है। जिसके लिए महिलाओं ने लम्बा संघर्ष किया है। महिला शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी धारणाओं को तोड़ कर हम यहां तक पहुंचे है। शिक्षा को एक अधिकार की तरह प्राप्त कर महिलाओं ने न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि समाज को भी अमूल्य योगदान दिया है।

सिन्हा बुधवार को इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस, बेंगलुरू और विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में ‘नारी विज्ञान उत्सव-2020’ के आयोजन को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ऑनलाइन संबोधित कर रही थी।

प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी कोलकाता की उपकुलपति डॉ. अनुराधा लोहिया ने कहा कि आधुनिक भारत में सावित्री बाई फुले वह प्रथम महिला थी, जिन्होंने शिक्षा में अपनी पहचान बनाने में सफलता प्राप्त की। बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में मारिया मॉन्टेंसरी, चिकित्सा विज्ञाान में डॉ. रुकमा बाई और नारीवाद की प्रतिनिधि लेखिका ताराबाई शिंदे के संबंध में भी लोहिया ने जानकारी दी।

आईआईटी खड़कपुर में रसायनशास्त्र की व्याख्याता डॉ. स्वागता दासगुप्ता ने कहा कि विज्ञान के आविष्कार एवं उनके लाभ सार्वभौम हैं, अत: शिक्षा के क्षेत्र में लिंगभेद को समाप्त कर आगे बढ़ना ही एकमात्र विकल्प है।

डॉ. मिताली चटर्जी ने प्रथम महिला मौसम वैज्ञानिक अन्नामणि के प्रारंभिक जीवन से वेदर वूमन ऑफ इंडिया बनने की यात्रा पर प्रकाश डाला। डॉ. शुभ्रा चक्रवर्ती ने वनस्पति विज्ञान में अभूतपूर्व योगदान करने वाली महिला वैज्ञानिक डॉ. जानकी अम्मल और डॉ. अर्चना शर्मा के अमूल्य योगदान की चर्चा की।

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