आज हर गली-मोहल्ले, चौक-चौराहे पर, मेले में आपको मोमोज बिकते दिख जाएंगे। स्टीम से निकला गरमा-गरम मोमोज और लाल-तीखी चटनी।।।वाह,,! पढ़कर मुंह में पानी आ गया होगा। खाने की बात बाद में, फिलहाल कारोबार की बात करते हैं।
जरा ये सोचिए कि छोटी सी टेबल पर मोमोज बेचने वाला कितना कमा लेता होगा। अंदाजे से कहे तो 20-30 हजार महीना या 40-50 हजार, लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने मोमोज बेचकर 2000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी। हैरान मत होइए, आज ये हर दिन 6 लाख से अधिक मोमोज बेचते हैं, हर महीने लाखों-करोड़ों में कमाते हैं। हम बात कर रहे हैं वॉव मोमो के को-फाउंडर सागर दरयानी की।
हर माता-पिता की उम्मीद यही होती है कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस जैसी नौकरी करें। अगर फैमिली मिडिल क्लास हो तो घरवालों की इच्छा रहती है कि बेटा पढ-लिखकर अच्छी नौकरी कर ले। सागर दरयानी के माता-पिता भी यही चाहते थे, लेकिन सागर ने तो कुछ और ही तय कर रखा था। कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रहे सागर ने जब अपने पिता को बताया कि वो मोमोज बेचना चाहता हैं तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
‘मेरा बेटा मोमो बेचेगा..!’
सागर की बात सुनकर पिता नाराज हुए। उन्होंने बेटे को ताना मारते हुए कहा कि ‘मेरा बेटा मोमो बेचेगा!’ पिता की बातें भी सागर के कदम नहीं रोक सकी। साल 2008 में सागर और उनके दोस्त बिनोद कुमार ने छोटी सी दुकान से मोमोज का बिजनेस शुरू किया। दोनों ने अपनी सेविंग से 30000 रुपये का निवेश किया और सिर्फ 1 सिंगल टेबल और 2 पार्ट टाइम शेफ के साथ बिजनेस की शुरुआत की।
कहां से मिला आइडिया
अक्सर लेट नाइट पढ़ाई के दौरान सागर और उनके दोस्त मैगी, डोमिनोज पिज्जा, बर्गर मंगवाकर खाया करते थे। एक दिन अचानक उनके दिमाग में आइडिया आया कि जब विदेशी कंपनियां आकर भारत में कारोबार कर सकती हैं तो भारत की कंपनी विदेश क्यों नहीं जा सकती है। उसी दिन से उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया। उनके घर के पास ही एक आंटी मोमोज बनाती थी। उनके स्टॉल के बाहर लंबी लाइन लगती थी। सागर के दिमाग में आइडिया क्लिक कर गया। वो मोमोज को ब्रांड बनाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने वॉव मोमोज की शुरुआत की।
उतार-चढ़ाव के बाद मिली सफलता
शुरुआत के 2 साल काफी मुश्किल भरे थे। उनके पास फंड नहीं था, जगह नहीं थी। लोग कम थे। ऐसे में दोनों ने तरकीब निकाली। कंपनी के नाम और लोगो वाला टीशर्ट बनवाया और पूरा दिन उसे पहनकर रखते थे। कहीं भी जाते तो उसे पहनकर रखते, ताकि लोग वाव मोमो के बारे में जान सकें। मोमोज के सैंपल लोगों को चखाते। उन्हें उम्मीद थी कि लोग चखने के बाद खरीदने जरूर आएंगे। उन्होंने साधारण से मोमोज में ट्विस्ट देना शुरू किया। स्टीम मोमोज के बजाए तंदूरी मोमोज, कॉकलेज मोमोज, फ्राई मोमोज जैसे वैराइटी लोगों के सामने सर्व करना शुरू किया। उनका ये आइडिया हिट हो गया।
आज 2000 करोड़ की कंपनी
कोलकाता से शुरू हुआ सफर आब धीरे-धीरे बढ़ने लगा। छोटी-सी दुकान आउटलेट्स में बदलने लगे। देशभर में वॉव मोमो के फ्रेंचाइजी आउटलेट्स खुल रहे हैं। आज हर दिन 6 लाख मोमोज बेच रही है। देश के 26 राज्यों में 800 से ज्यादा लोकेशंस पर उनके पॉइंट ऑफ सेल हैं । आज कंपनी का वैल्यूएशन 2000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। वाॅव मोमोज अब तक 68।5 मिलियन डॉलर का फंड रेज कर चुकी है। सागर दरयानी ने किसी काम को छोटा नहीं समझा, इसलिए आज करोडों का कारोबार कर रहे हैं।