धरम सैनी
जयपुर। राजधानी के दोनों नगर निगमों ने जयपुर को नरक बना रखा है। इसकी बानगी कोरोना मरीजों से संक्रमित कचरे के निस्तारण में देखने को मिल रही है। नगर निगम अस्पतालों से कोरोना मरीजों के संक्रमित कचरे को उठवाता रहा और उनका बायो मेडिकल रूल्स के अनुसार निस्तारण कराता रहा, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के संक्रमित कचरे को उठवाने के लिए आज तक कोई योजना नहीं बनाई है।
हैरानी की बात यह है कि निगम अधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि राजधानी में कितने कोरोना संक्रमित मरीज होम आईसोलेशन में है। यह हाल सिर्फ जयपुर का ही नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में नगरीय निकायों ने होम आईसोलेशन में रह रहे कोरोना संक्रमित मरीजों के कचरे के निस्तारण की कोई योजना नहीं बनाई है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 29 मार्च के आस-पास जयपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 70 से 130 मरीज प्रतिदिन के बीच था, जो एक महीने में ही बढ़कर 3000 से अधिक मरीज प्रतिदिन का हो गया। बुधवार तक जयपुर में 33 हजार 324 एक्टिव केस थे। माना जा रहा है कि इनमें से 10 से 12 फीसदी मरीज ही गंभीर स्थिति होने के कारण अस्पतालों में भर्ती है और शेष मरीज होम आईसोलेशन में है। पूरे प्रदेश में 1 लाख 70 हजार के करीब एक्टिव केस इस समय है, इनमें से भी अधिकांश होम आइसोलेशन में है।
डीएलबी सूत्रों के अनुसार करीब चार दिन पूर्व कोरोना संक्रमण को लेकर डीएलबी डायरेक्टर ने नगरीय निकायों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में डायरेक्टर ने कोरोना संक्रमित मरीजों से उत्पन्न संक्रमित कचरे को उठाने और उसके बायो मेडिकल रूल्स के हिसाब से निस्तारण की जानकारी मांगी तो अधिकारियों ने अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट उठाने और उसके निस्तारण की प्रक्रिया समझा दी।
लेकिन, जब अधिकारियों से होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के कचरे के निस्तारण की योजना पूछी गई तो उनसे कोई जवाब देते नहीं बना। यहां तक वह यह भी नहीं बता पाए कि उनके क्षेत्र में कितने कोरोना संक्रमित मरीज होम आईसोलेशन में है। इस पर डीएलबी डायरेक्टर ने निर्देश दिए कि नगरीय निकाय चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से तुरंत संपर्क कर होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों की जानकारी करें और उनके संक्रमित कचरे को उठवाने और निस्तारण की व्यवस्था करें, नहीं तो जानकारी के अभाव में निकायों के सफाईकर्मी बड़ी मात्रा में कोरोना संक्रमित हो जाएंगे, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होगा कि वह जो कचरा उठा रहे हैं और परिवहन कर डिपो पर ले जा रहे हैं, वह कोरोना संक्रमित मरीजों का है।
इस बैठक के बाद नगर निगम ग्रेटर के आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने 27 अप्रेल को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (प्रथम व द्वितीय) को पत्र भेज कर कहा है कि कोरोना संक्रमित होम क्वारंटाइन मरीजों का मेडिकल वेस्ट साधारण कचरे में नहीं मिले और संक्रमण फैलाने का वाहक नहीं बने, इसके लिए जरूरी है कि इन मरीजों के मेडिकल वेस्ट का निस्तारण बायो मेडिकल रूल्स के तहत कराया जाना आवश्यक है। कोरोना संक्रमित मरीजों की सबसे पहले सूचना आपके पास पहुंचती है और आपके द्वारा ही उन्हें दवाएं उपलब्ध कराई जाती है और कोविड प्रोटोकाल की पालना के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
ऐसे में आप अपने अधिनस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पाबंद करें कि वह होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों के परिजनों को निर्देश दें कि वह अपना प्रतिदिन का मेडिकल वेस्ट मास्क, दस्ताने, पीपीई किट, दवाओं के खाली रैपर, शीशियां, डिस्पोजेबल कप, प्लेट आदि को अच्छी तरह से पैक कर नजदीक के शहरी प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर पहुंचाएं, जिससे उन प्राथमिक केंद्रों से निगम की मेडिकल वेस्ट निस्तारण करने वाली एजेंसी इन्स्ट्रोमेडिक्स इंडिया द्वारा एकत्रित कर निस्तारण किया जा सके।