कूटनीति

भारत से पहले चीन जाने पर विवादों में घिरे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, आलोचनाओं पर दी सफाई

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन की यात्रा को भारत से पहले प्राथमिकता देने के अपने फैसले पर आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। कई राजनेताओं और कूटनीतिक विशेषज्ञों ने इसे नेपाल की पारंपरिक कूटनीतिक प्राथमिकताओं के खिलाफ बताया है। इस पर सफाई देते हुए ओली ने आलोचकों को “कायरतापूर्ण” और “बेतुका” करार दिया। काठमांडू में सीपीएन-यूएमएल द्वारा आयोजित एक जनसभा में ओली ने कहा, “कहां लिखा है कि किसी विशेष देश की यात्रा पहले होनी चाहिए? क्या यह किसी धार्मिक ग्रंथ, संविधान या संयुक्त राष्ट्र चार्टर में दर्ज है?”
‘चीन कार्ड’ खेलने के आरोप पर प्रतिक्रिया
पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने एक साक्षात्कार में ओली पर चीन को प्राथमिकता देकर “चीन कार्ड” खेलने का आरोप लगाया था। दहल के बयान पर सीपीएन-यूएमएल ने पहले ही नाराजगी जाहिर की थी। ओली को लंबे समय से चीन समर्थक माना जाता है, खासकर उनके पिछले कार्यकाल के दौरान जब उन्होंने भारत के मुकाबले चीन के साथ रिश्तों को प्राथमिकता दी थी।
संतुलित कूटनीति की बात
प्रधानमंत्री ओली ने सभी पड़ोसियों के साथ संतुलित और सम्मानजनक संबंध बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हम नेपाल की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए सभी पड़ोसियों के साथ समानता और आपसी सम्मान के आधार पर संबंधों को बढ़ावा देंगे। हमारा कोई दुश्मन नहीं है।”
चीन यात्रा की सफलता का भरोसा
अपनी चीन यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि यह कोई आकस्मिक निर्णय नहीं है। उन्होंने वादा किया कि लौटने के बाद वह व्यक्तिगत रूप से यात्रा की सफलता की रिपोर्ट देंगे। ओली ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार स्थिर है और देश के विकास तथा स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
नेपाली कांग्रेस पर हमला
ओली ने नेपाली कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूएमएल और कांग्रेस राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन देश की स्थिरता के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें नेपाल के लोकतंत्र और संप्रभुता को कमजोर करने की साजिश कर रही हैं, लेकिन यूएमएल इसे सफल नहीं होने देगा।
रैली का आयोजन
सीपीएन-यूएमएल ने शुक्रवार को काठमांडू में ‘अराजकता के खिलाफ जागरूकता’ बढ़ाने के लिए एक रैली आयोजित की। रैली विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए दरबार मार्ग पर समाप्त हुई, जहां एक बड़ी जनसभा हुई।ओली ने आलोचनाओं को खारिज करते हुए अपनी सरकार और कूटनीति का जोरदार बचाव किया।

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