दिल्लीराजनीति

सेंगोल स्थापना के साथ नये संसद भवन का उद्घाटन..!

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह देश के नये संसद भवन का उद्घाटन किया। उद्घाटन के पूर्व पीएम मोदी ने अधीनम् (संतों) की उपस्थिति में महत्वपूर्व व ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ यानी राजदण्ड को लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के बगल में स्थापित किया।
पीएम मोदी को एक दिन पहले शनिवार 27 मई को तमिलनाडु से आए अधीनम ने इस ऐतिहासिक राजदंड को पीएम मोदी को सौंपा था।
विवादों की सियासत
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने नये संसद के साथ ताबूत का चित्र दिखाकर पूछा कि यह क्या है। इसके अलावा इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी की ओर से कहा गया कि आप मजबूर हैं और कुछ नहीं। संसद देश की है और ताबूत आपका। वर्ष 2024 में जनता आपको ताबूत में ही गाड़ देगी।


उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन का कुछ विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और एक मंच पर एकत्र हो रहे हैं। इन दलों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नये संसद भवन का उद्घाटन कराना चाहिए लेकिन जब भाजपा ने इन विपक्षी दलों की बात नहीं मानी तो तीखी और अपमानजनक बयानबाजी शुरू कर दी। शुरुआत जरूर कांग्रेस की ओर से की गयी थी लेकिन बाद में अन्य विपक्षी दल साथ में जुड़ते गये।
सेंगोल के बारे कुछ जानकारियां
सेंगोल यानी राजदण्ड को लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास में स्थापित किया गया है। सेंगोल तमिल शब्द सेम्मई से बना है। इसका अर्थ होता है- नीतिपरायणता। अब सेंगोल को देश के पवित्र राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर जाना जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस सेंगोल का एतिहासिक महत्व बताते हुए स्पष्ट किया था कि ब्रिटिश हुकूमत की तरफ से भारत को हस्तांतरित किए गए सत्ता के प्रतीक ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नये संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ‘सेंगोल’ अभी प्रयागराज के एक संग्रहालय में रखा गया था।
तमिलनाडु का चोल साम्राज्य भारत का एक प्राचीन साम्राज्य था। तब चोल सम्राट सत्ता का हस्तांतरण सेंगोल सौंपकर करते थे। भगवान शिव का आह्वाहन करते हुए राजा को इसे सौंपा जाता था। नेहरू को राजा गोपालचारी ने इसी परंपरा के बारे में बताया

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