जयपुर। राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य स्थित नाहरगढ़ फोर्ट (Nahargarh Fort) में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियां (illegal commercial activities) और वन एवं वन्यजीव अधिनियमों के दशकों से उल्लंघन को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बेहद गंभीर मामला माना है। ऐसे में इस मामले में राजस्थन के पर्यटन विभाग और पुरातत्व विभाग की मुश्किलें बढ़ने वाली है। क्योंकी अब मामले की सुनवाई डबल बैंच की जगह छह सदस्यीय प्रिंसिपल बैंच करेगी।
अभी तक इस मामले की सुनवाई डबल बैंच में जारी थी, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के जज व एक एक्सपर्ट मेंबर सुनवाई कर रहे थे। गुरुवार को एनजीटी की एडवांस कॉज लिस्ट आई है, जिसके अनुसार मामले की सुनवाई 4 अक्टूबर को छह सदस्यीय प्रिंसिपल बैंच करेगी, जिसमें जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस शिव कुमार सिंह, जस्टिस बृजेश सेठी, एक्सपर्ट मेंबर नगिन नंदा और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. अरुण कुमार वर्मा मामले की सुनवाई करेंगे।
मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि एनजीटी ने शुरूआत से ही इस मामले को गंभीर माना था और अब इस मामले को छह सदस्यीय बैंच को सुपुर्द करना, साबित कर रहा है कि मामला बेहद गंभीर है, जिसमें पर्यटन और पुरातत्व विभाग की ओर से वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की दशकों से धज्जियां उड़ाई जा रही थी और वन विभाग न जाने किस कारण मौन साधे बैठा था।
उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डाट कॉम ने सबसे पहले नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला उठाया था और बताया था कि पुरातत्व विभाग की ओर से नाहरगढ़ फोर्ट पर रेस्टोरेंट ठेके पर दिए जा रहे हैं। पर्यटकों की पार्किंग के लिए विभाग की कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण ने अभ्यारण्य में बड़ी मात्रा में पेड़-पौधों को कटवा दिया। पुरातत्व विभाग की ओर से यहां नियमविरुद्ध नाइट टूरिज्म शुरू किया गया है।
नियमविरुद्ध वनभूमि पर निर्माण कार्य कराए गए। पर्यटन विभाग की एजेंसी आरटीडीसी की ओर से यहां बीयर बार व रेस्टोरेंट का संचालन किया जा रहा है। बीयर बार के कारण लोग रात्रि के समय यहाँ आते हैं, जो वन्यजीवों के स्वच्छंद वितरण में बाधा उत्पन्न करता है। आबकारी विभाग ने यहां नियमविरुद्ध बार का लाइसेंस जारी कर रखा है। विद्युत विभाग ने यहां नियमविरुद्ध बिजली के कनेक्शन दे रखे हैं। वहीं जलदाय विभाग ने यहां पानी के कनेक्शन दे रखे हैं।