जयपुर

एनजीटी (NGT) के आदेश (orders) ‘ठेंगे’ पर, एडमा (Adma) ने नाहरगढ़ (Nahargarh) के लिए निकाली निविदा (tender)

वन विभाग ने मांगा नाहरगढ़, जयगढ़ और मावठा पार्किंग का कब्जा, जिला कलेक्टर ने एनजीटी आदेशों की पालना कराने के लिए बुलाई 18 नवंबर को बैठक

जयपुर। आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा/Adma) के अधिकारियों के आगे न्यायालयों के आदेश (NGT) ‘ठेंगे’ पर दिखाई दे रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी/NGT) ने नाहरगढ़ (Nahargarh)अभ्यारण्य में सभी गतिविधियों को वन विभाग के निर्देशन में संचालित करने के आदेश पारित किए हैं। इसके बावजूद एडमा के अधिकारियों ने बिना वन विभाग की मंजूरी लिए नाहरगढ़ फोर्ट में विकास कार्यों की निविदा (tender) निकाल कर एनजीटी को चुनौती दे दी है।

एडमा की ओर से 3 नवंबर को स्मारकों पर संरक्षण और विकास कार्यों के लिए निविदा निकाली गई है। इस निविदा में नाहरगढ़ फोर्ट में भी विभिन्न विकास कार्यों के लिए 6.45 लाख रुपए की निविादा निकाली है। यह निविदा 18 नवंबर को खोली जाएगी। जबकि जिला कलेक्ट्रेट सूत्रों का कहना है कि 18 नवंबर को ही जिला कलेक्टर ने नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर में अभ्यारण्य क्षेत्र में चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कराने के लिए बैठक बुलाई है।

नहीं ली वन विभाग से अनुमति
एडमा के कार्यकारी निदेशक (कार्य) बीपी सिंह से जब पूछा गया कि निविदा निकालने से पूर्व क्या वन विभाग से अनुमति ली गई है? तो सिंह ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस मामले को दिखवाता हूं। कई स्मारकों के संरक्षण और विकास कार्यों की निविदा एकसाथ निकाली गई है, गलती से नाहरगढ़ की निविदा भी निकल गई होगी।

सिंह की यह दलीलें गले नहीं उतर रही है, क्योंकि नाहरगढ़ में एनजीटी के आदेशों की पालना की तारीख नजदीक है, फिर बातों-बातों में ही निविदाएं नहीं निकलती, फाइनेंस से मंजूरी लेनी होती है, टेंडर डाक्यूमेंट तैयार करने होते हैं। ऐसे में यह संभावना नगण्य है कि गलती से नाहरगढ़ की निविदा निकल गई होगी। उधर वन विभाग के अधिकारियों को इस निविदा की जानकारी ही नहीं है। इसका मतलब यह है कि निविदा निकालने से पूर्व वन विभाग से किसी प्रकार की सहमति नहीं ली गई है।

वन विभाग ने मांगा नाहरगढ़, जयगढ़ और मावठा पार्किंग की सुपुर्दगी
पुरातत्व महकमा इस कोशिश में लगा है कि राजनैतिक दबाव बनाकर नाहरगढ़ का कब्जा विभाग के पास ही रखा जाए, लेकिन वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों ने अब नाहरगढ़ के साथ-साथ जयगढ़ और आमेर की मावठा पार्किंग को भी सुपुर्दगी में लेने की तैयारी शुरू कर दी है। नाहरगढ़ विवाद में पूरी तरह से साफ हो गया है कि नाहरगढ़ फोर्ट, जयगढ़ फोर्ट और आमेर की मावठा पार्किंग वन विभाग की संपत्ति है।

ऐसे में बुधवार को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन संबंधी मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में वन विभाग ने जिला कलेक्टर से दोनों फोर्ट और पार्किंग को खाली कराने और वन विभाग की सुपुर्दगी में देने की मांग उठा दी है। सूत्रों के अनुसार बैठक में कहा गया कि या तो पुरातत्व विभाग एनजीटी के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर आए, नहीं तो जिला कलेक्टर एनजीटी के आदेशों की पालना कराएं और दोनो फोर्ट पार्किंग को खाली कराकर वन विभाग को सुपुर्द कराएं।

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