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नितिन अग्रवाल राजस्थान में उभरता हुआ वो युवा चेहरा जो समाज सेवा (social service) को ही अपना धर्म मानता है

समाज में ऐसे लोग अब बेहद ही कम मिलते हैं जो किसी की आंख में आंसू देख भर लें और उसकी मदद को तत्काल दौड़ जाएं। दरअसल, ऐसे लोग बचपन से ही वे अपने स्वभाव को इस तरह का बना लेते हैं कि बड़े होने पर आमजन की मदद(social service) किये बिना उन्हें जीवन अर्थहीन लगता है। जयपुर के नितिन अग्रवाल भी ऐसे ही स्वभाव के धनी हैं।

किसी के गुहार लगाने पर ही मदद को तैयार रहते हों नितिन केवल ऐसा ही नहीं है बल्कि वे समाज की असल परेशानी को समझकर उसके इलाज के लिए भी निरंतर प्रयासरत रहते हैं। उदाहरण के तौर पर वे केवल रक्तदान के शिविर ही आयोजित नहीं करवाते बल्कि समय-समय पर रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाते रहते हैं। देश में हमेशा से ही रक्त की कमी रही है। हर पांच में से एक व्यक्ति रक्तदान नहीं करना चाहता और इसका कारण उसके मन का भय और कई तरह की भ्रांतियां है।

नितिन समाज की इस परेशानी को समझते हैं वे निजी तौर पर लोगों को एकत्र कर उन्हें रक्तदान की महत्ता के बारे में समझाते हैं इस संदर्भ में लोगों की भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश में लगे रहते हैं।

कोरोना काल में लॉकडाउन में जब लोग अपने-अपने घरों से जरूरी काम के लिए ही बाहर निकलते रहे हैं, तब नितिन से कई रक्तदान शिविर आयोजित करवाए। निस्संदेह उन्होंने इन शिविरों में लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा। यही नहीं, उन्होंने अपने जैसे कई मददगार लोगों की टीमें भी खड़ी कर दीं हैं जो स्वयं रक्तदान शिविर आयोजित करवा रही हैं और समय पड़ने पर आमजन की किसी भी प्रकार की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं। कोरोना के इस कठिन दौर में नितिन और उनके साथियों ने आमजन के लिए कोविड सेंटरों की शुरुआत भी और आमजन को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया।

कोरोना काल में नितिन अग्रवाल ने कोविड सेंटरों की शुरुआत की

 नितिन से उनके सामाजिक कार्यों की प्रेरणा के बारे में बताते हैं कि स्कूली समय से ही उन्हें लोगों की मदद करने के संस्कार मिले। चाहे अभिभावक हों या उनके शिक्षक, वे नितिन को अपनी जरूरत की वस्तुओं में से कुछ ना कुछ निकालकर, चाहे वो खिलौने हों, किताबें या कपड़े हों या कुछ और..किसी ना किसी आश्रम में जाकर वहां के गरीब और बेसहारा लोगों को उपलब्ध कराने का संस्कार देते रहे। बाद में, यह बात उनके स्वभाव में ढल गयी।

समाजसेवा के अपने काम के लिए नितिन किसी भी सक्षम व्यक्ति से किसी प्रकार की मदद लेने से नहीं झिझकते। यद्यपि वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं किंतु अन्य लोगों की सहायता के लिए उनका यह जुड़ाव कभी आड़े नहीं आता। वे बिना किसी भेदभाव के समाज के हर व्यक्ति या वर्ग की, चाहे वह किसी भी विचार से जुड़ा हो मदद को हमेशा ही तत्पर रहते हैं। वे राजस्थान में कांग्रेस का नया और ऊर्जावान ऐसा उभरता हुआ युवा चेहरा हैं जो वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता का दायित्व निभाते राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पैठ बनाता दिख रहा है।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन अग्रवाल

नितिन का कहना है कि कोरोना काल में लोगों के सामने आजीविका चलाने की बड़ी परेशानी सामने आई। इन हालात में उन्होंने लोगों के लिए जनता रसोई शुरू की। उनकी एक ही इच्छा रही है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोने पाये। इसके लिए उन्होंने टीम बनाकर घर-घर जाकर रोजाना 25 हजार भोजन के पैकेट बांटे। ऐसे लोग जो अपने घरों को लौटना चाहते थे, उन्हें साधन उपलब्ध कराये। विशेषतौर पर श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया। यही नहीं वे लोगों के बीच स्वच्छता से रहने का संदेश भी देते रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन्स भी वितरित करने का काम वे और उनके टीम करते रहते हैं।

कोरोना काल में घर-घर भोजन वितरण का काम करते नितिन अग्रवाल

नितिन अपने सेनेटरी पैड्स वितरण के काम के अनुभव के बारे में बताते हैं कि वे अब तक घर-घर जाकर 10 लाख सेनेटरी पैड्स बांट चुके हैं। शुरुआत में तो महिलाएं इस काम के लिए घर के दरवाजे तक नहीं खोला करती थीं, अब समाज में इतना तो बदलाव आया ही है कि वे दरवाजा खोलकर हाथ आगे बढ़ाकर सेनेटरी पैड्स स्वीकार करने लगी हैं।

नितिन का कहना है कि जरूरी नहीं कि समाज में केवल हजारों रुपये खर्च करके ही मदद की जाए। यदि लोग अपने आस-पड़ोस में ही मदद के हाथ बढ़ायें। कॉलोनी में लोग यदि अपना-अपना क्रम बांधकर कभी भोजन तो कभी स्वच्छता संबंधी सामग्री वंचित लोगों तक पहुंचाने का काम करें और उन्हें अपने जीवन का भार उठाने लायक बना दें तो देश तेजी के साथ सरलता से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकेगा।  

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