मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आपराधिक और आपराधिक इरादे के आरोपों की एक हिस्ट्रीशीट तैयार की जा रही है। जिसे सरकार/पुलिस द्वारा रिकॉर्ड किया जाएगा।अपराधियों पर सामाजिक बहिष्कार लागू करना भी आवश्यक है। लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा, छेड़छाड़, बलात्कार और बलात्कार के प्रयास के मामलों में शामिल आरोपियों को अब सरकारी नौकरी में मौका नहीं मिलेगा। राजस्थान सरकार ने फैसला किया है कि जिन लोगों पर इस तरह के आरोप हैं या जो दोषी पाए गए हैं, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार (8 अगस्त) को मीडिया को यह जानकारी दी।
पिछले कुछ महीनों में राजस्थान में सामाजिक अपराधों की कई घटनाएं सामने आई हैं। जिस कारण राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इनमें महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार शामिल हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार ने यह अहम फैसला लिया है। नतीजतन, महिलाओं से संबंधित हिंसा से संबंधित आरोपियों को अब सरकारी नौकरी का अवसर नहीं मिलेगा।
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बालिकाओं एवं महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म के प्रयास एवं दुष्कर्म के आरोपियों एवं मनचलों को सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके लिए मनचलों का भी पुलिस थानों में हिस्ट्रीशीटरों की तरह रिकॉर्ड रखा जाएगा एवं राज्य सरकार/ पुलिस द्वारा जारी…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 8, 2023
मुख्यमंत्री का पद, मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा
इस बीच अशोक गहलोत का एक बयान इस समय चर्चा में है। मुझे अक्सर लगता है कि मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह स्थिति मेरा पीछा नहीं छोड़ रही है। एक महिला के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए गहलोत ने कहा, ‘एक महिला ने उनसे राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को कहा। एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने एक महिला के साथ अपनी बातचीत के कुछ हिस्सों को सुनाया और कहा, “उसने मुझे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए कहा। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे अक्सर लगता है कि मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए। मुख्यमंत्री का पद, लेकिन मुख्यमंत्री का पद, मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है।