पीएम मोदी के चीफ जस्टिस के घर जाने पर उठे सवाल के बीच बीजेपी नेता संबित पात्रा ने सवाल किया कि आप क्या चाहते हैं। क्या लोकतंत्र के अलग-अलग खंभें मिल नहीं सकते। क्या वे दोस्त नहीं हो सकते। क्या उन्हें दुश्मन होना चाहिए। क्या उन्हें एक-दूसरे से बातचीत नहीं करनी चाहिए। क्या उन्हें एक दूसरे से हाथ नहीं मिलाना चाहिए।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के घर पर गणपति पूजा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल होने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बुधवार इस समारोह से संबंधित एक वीडियो में चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास अपने घर पर पीएम मोदी का स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पीएम मोदी यहां बप्पा की आरती भी करते हैं।
चीफ जस्टिस के घर पर मोदी के पूजा में शामिल होने पर विपक्ष के कई नेताओं के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष के सवालों के बीच पलटवार बीजेपी की ओर से भी किया गया है। इस पूरे विवाद के बीच यह भी जानना जरूरी है कि पीएम मोदी ने स्वयं सीजेआई के आवास पर आरती करते हुए एक तस्वीर पोस्ट की। ऐसे में सवाल है कि क्या इन दोनों की मुलाकात नहीं हो सकती।
किस बात पर है आपत्ति
शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने कहा कि गणपति उत्सव मनाया जा रहा है और लोग एक-दूसरे के घर आते जाते हैं। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि प्रधानमंत्री किसी के घर गए हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कई स्थानों और महाराष्ट्र सदन में भी गणपति उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा बहरहाल प्रधानमंत्री ने चीफ जस्टिस के आवास का दौरा किया। उन्होंने एक साथ आरती की। हमें लगता है कि अगर संविधान के संरक्षक राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं तो लोगों को संदेह होगा। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत के चीफ जस्टिस ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत से समझौता किया है। उन्होंने कहा मुख्य न्यायाधीश की स्वतंत्रता पर से सारा भरोसा उठ गया। उन्होंने कहा एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) को कार्यपालिका से सीजेआई की स्वतंत्रता से सार्वजनिक रूप से किए गए समझौते की निंदा करनी चाहिए।
बीजेपी की ओर से किया गया पलटवार
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने कहा कि वामपंथी उदारवादियों ने प्रधान न्यायाधीश के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने पर रोना शुरू कर दिया है लेकिन यह घुलना-मिलना (लोगों से) नहीं बल्कि शुद्ध रूप से गणपति पूजा थी। एक पोस्ट में बीएल संतोष ने लिखा कल की एक पूजा और आरती ने देश भर में कई लोगों की नींद, सुबह की वॉक और चाय नाश्ता बिगाड़ दिया। शिव सेना के राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा ने भी आलोचकों पर निशाना साधा और कहा जब फैसले उनके पक्ष में होते हैं तो विपक्ष उच्चतम न्यायालय की विश्वसनीयता की प्रशंसा करता है लेकिन जब चीजें उनके अनुकूल नहीं होती हैं तो वे आसानी से दावा करते हैं कि न्यायपालिका से समझौता किया गया है।
पहले भी हो चुकी है मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी और चीफ जस्टिस इससे पहले भी कई आधिकारिक समारोहों जैसे दो साल पहले संविधान दिवस समारोह, सितंबर 2023 में वकीलों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और अगस्त में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में मिल चुके हैं। अब सवाल है कि क्या किसी सामाजिक या धार्मिक आयोजन में लोकतंत्र के दो महत्वपूर्ण अंगों की मुलाकात नहीं हो सकती। क्या सिर्फ एक मुलाकात कई सवाल खड़े करती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल या उसे राजनीति के चश्मे से देखना कहां तक उचित है।