भारत में रविवार को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय गठबंधन सरकार की कैबिनेट ने शपथ ली। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्तित्व बने। पीएम मोदी का व्यक्तित्व देश के दुश्मनों को ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए पहचाना जाता है। लेकिन, पीएम मोदी की शपथ के 72 घण्टे के अंदर ही जम्मू-कश्मीर में 3 आतंकी हमले हुए हैं। ये हमले रियासी, कठुआ और डोडा में हुए हैं।. संदेह है कि जम्मू-कश्मीर में कोई नया लोकल नेटवर्क ऐक्टिव हो गया है, जो पाकिस्तान समर्थित दहशतगर्दों को समर्थन दे रहा है। दरअसल यह बात सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों को तनाव देने का काम कर रही है।
रियासी, कठुआ और डोडा में के बारे में बता दें कि आतंकियों ने 9 जून को रिसायी के शिवखोड़ी धाम में दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं को अपना निशाना बनाया था। इस आतंकी हमले में 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जबकि 33 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कठुआ मुठभेड़ के बारे में बताया गया कि मंगलवार शाम को करीब 8.30 बजे आतंकवादी गांव में दिखाई दिए और एक घर में पानी मांगा। पुलिस को सूचना मिली और एसडीपीओ और एसएचओ के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और एक आतंकवादी ने उन पर हमला किया और हथगोले भी फेंके। वहीं डोडा में भारतीय सेना के ऑपरेटिंग बेस पर आतंकियों ने गोलीबारी की. डोडा के सुदूर इलाके में अस्थायी ऑपरेटिंग बेस (टीओबी) पर आतंकियों ने कई राउंड फायरिंग की। इस हमले में सुरक्षा बल के दो जवान घायल हो गए. इलाज के लिए निकाला गया। सेना और पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में डोडा के चत्तरगला इलाके में आतंकियों को घेर लिया गया और गोलीबारी की गई। डोडा हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ली है।
इन हमलों के बाद केंद्रीय खुफिया सूत्रों के अनुसार जम्मू और कश्मीर (J&K) में पिछले 72 घंटों में हुए तीन हमलों में शामिल विदेशी आतंकवादियों की मदद करने वाला एक नया आतंकी नेटवर्क पकड़े जाने का शक है। इस नेटवर्क में स्थानीय लोग और स्थानीय आतंकी शामिल बताए जा रहे हैं। यही नहीं इन हमलों में 11 लोग मारे गए और लगभग 50 लोग घायल हुए हैं।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि हर एक हमले में विदेशी आतंकियों को सुरक्षाबलों के बचने के रास्तों, ठिकानों और उनके शिविरों के बारे में सटीक जानकारी मिली, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता को बढ़ा दिया है। एजेंसियों को शक है कि कोई नया या पुराना स्थानीय समर्थन का नेटवर्क है जो मदद कर रहा है, जिसमें खाने के सामान की सहायता भी शामिल है। जम्मू और कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों के बड़े अधिकारियों का कहना है कि ये हमले आतंकी गुटों की नाकामी को दिखाते हैं, खासकर भारत की ओर से जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराने के बाद। लेकिन, इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियो के ठिकानों, शिविरों की जानकारी लीक किये की आशंका ने परेशानी जरूर पैदा की है।
सूत्रों का कहना है, कुछ सप्ताह पूर्व यह सूचना मिली थी कि करीब 80 विदेशी आतंकी कश्मीर क्षेत्र में घुसपैठ कर चुके हैं। इन्होंने हथियार हासिल किये, आसानी से पनाह ली और खाना पाया, सुरक्षाबलों के शिविरों के बारे में जानकारी हासिल की, खास ठिकानों तक पहुंचने का तरीका सीखा और हमलों के बाद भागने में आसानी के लिए सुनसान इलाकों की जानकारी जुटाई। सूत्रों का कहना है कि इन विदेशी आतंकवादियों का स्थानीय लोगों से संपर्क होने का शक है, जो शायद उन्हें हमले वाली जगहों तक ले जाने में भी मदद कर सकते हैं। सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों को शक है कि जम्मू में अभी और भी आतंकी हो सकते हैं। यह भी आशंका है कि ये आतंकी संगठन मिलकर हमले कर रहे हैं।