पीएम मोदी उन लोगों में से हैं जो किसी पर भरोसा करते हैं तो पूरा करते हैं। शायद यही वजह है कि वे ना तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोभाल को और ना ही अरने प्रधान सचिव को बदलने के किसी मूड में हैं। उन्होंने पीएम के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में एनएसए के तौर पर डोभाल को और अपने प्रधान सचिव के तौर पर प्रमोद कुमार मिश्रा को ही चुना है। प्रमोद कुमार मिश्रा जिन्होंने 2019 में नृपेंद्र मिश्रा का स्थान लिया था, वे इस बार भी पीएम के प्रधान सचिव रहेंगे, इस आशय के आदेश जारी कर दिये गये हैं।
पीएम मोदी गुजरात कैडर के प्रमोद कुमार मिश्रा से पूर्व से ही परिचित रहे हैं और वे 1972 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। पीएम मोदी के प्रधान सचिव बनने से पहले वे पीएम के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी, कैबिनेट मंत्री की रैंक पर और सेक्रेट्री, एग्रीकल्चर एंड कोऑपरेशन भी रह चुके हैं। डॉ पीके मिश्रा ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से इकोनॉमिक्स/ डेवलपमेंट स्टडीज में PhD की हुई है। इसके साथ ही उन्हें United Nation Sasakawa Award से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अक्सर कहा जाता है कि पीएम मोदी को समझकर उनकी कार्यशैली के अनुरूप स्वयं को ढालते हुए हर अधिकारी काम नहीं कर पाता है लेकिन पीके मिश्रा को पीएम के साथ काम करने का पुराना अनुभव भी है। मिश्रा ने साल 2019 में पहली बार पीएम मोदी के साथ काम तो किया ही है लेकिन इससे पहले जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे तो उस वक्त साल 2001-2004 के दौरान प्रमोद कुमार मिश्रा उनके प्रधान सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव का पद इंदिरा गांधी के प्रधान मंत्री के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था। पीएम के प्रधान सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रमुख होते हैं। उन्हें भारत सरकार के कैबिनेट सचिव का पद संभालना होता हैं। लेकिन, कुछ प्रधान मंत्री एक अतिरिक्त प्रधान सचिव की भी नियुक्ति करते हैं, जो भारत सरकार के कैबिनेट सचिव का पद संभालते हैं।