कूटनीतिदिल्ली

पीएम मोदी क्यों ट्रेन से 10 घंटे का सफर करके जा रहे यूक्रेन?

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को यूक्रेन की राजधानी कीव का दौरा करेंगे। वह पोलैंड से कीव तक ट्रेन से यात्रा करेंगे, जिसमें करीब 10 घंटे लगेंगे। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन शुरू होने के बाद यूक्रेन का रेल नेटवर्क देश का कूटनीतिक राजमार्ग बन गया है। सैकड़ों विदेशी राजनयिक ट्रेन से देश में पहुंच चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों यूरोप में हैं। वह 21 और 22 अगस्त को दो दिवसीय पोलैंड यात्रा पर राजधानी वारसॉ में हैं। इसके बाद पीएम मोदी ट्रेन से युद्धग्रस्त यूक्रेन जाएंगे। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ वार्ता करेंगे। इसमें यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर भी चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री ने अपनी यूक्रेन यात्रा से पहले पोलैंड में कहा कि भारत अशांत क्षेत्र में शांति का समर्थक है। उन्होंने दोहराया कि यह युद्ध का समय नहीं है। किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन दौरा ऐतिहासिक है। करीब तीन दशक पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा होगी। इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर है। अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा को अहम करार दिया है।
पीएम मोदी ट्रेन से यूक्रेन क्यों जा रहे हैं?
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार (23 अगस्त) को यूक्रेन की राजधानी कीव का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री पोलैंड से कीव तक ट्रेन से यात्रा करेंगे, जिसमें करीब 10 घंटे लगेंगे। वापसी की यात्रा भी लगभग इतनी ही लंबी होगी। पीएम मोदी की यह यात्रा ‘ट्रेन फोर्स वन’ नाम की बेहद खास रेल से होगी। ट्रेन में वीआईपी यात्रियों की सुरक्षा के लिए जबरदस्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं। बख्तरबंद खिड़कियों से लेकर सुरक्षित संचार व्यवस्था तक, ट्रेन फोर्स वन को सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए बनाया गया है। ट्रेन फोर्स वन में निगरानी व्यवस्था, एक सुरक्षित संचार नेटवर्क और सुरक्षा कर्मियों की एक अलग टीम होती है जो लगातार बाहर की स्थिति पर नजर रखती है।
पहले भी किसी ने ट्रेन से यूक्रेन की यात्रा की है?
24 फरवरी, 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का आगाज हुआ था। इसके बाद पोलैंड, चेक गणराज्य और स्लोवेनिया के प्रधानमंत्री 15 मार्च को यूक्रेन का दौरा करने वाले पहले पश्चिमी नेता थे। इसके बाद भी वैश्विक नेताओं ने दौरे जारी रहे। अमेरिका, फ्रांस, इटली, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे तमाम बड़े देशों के नेता ट्रेन से ही कीव पहुंचे।
वैश्विक नेताओं द्वारा ट्रेन के जरिए पोलैंड से यूक्रेन की यात्रा एक कूटनीति का हिस्सा मानी जाती है। इस कूटनीति को ‘आयरन डिप्लोमेसी’ का नाम दिया गया है। यूक्रेनी रेलवे के सीईओ ओलेक्सांद्र कामिशिन ने ‘आयरन डिप्लोमेसी’ शब्द गढ़ा है। आयरन डिप्लोमेसी के तहत दुनिया के नेता युद्ध और हवाई क्षेत्र बंद होने की अनदेखी करके कीव के लिए भूमि मार्ग अपनाते हैं। इसके अलावा नेता संघर्ष के मामले में, शांति पर चर्चा करने के लिए यूक्रेन को समर्थन दिखाते हैं।
कूटनीति के अलावा भी कोई कारण है?
युद्ध की शुरुआत के बाद यूक्रेन के लोगों की निर्भरता इसके रेलवे पर अधिक हो गई है। इसका रेल नेटवर्क लगभग 15,000 मील लंबा है और दुनिया में 12वां सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसका संचालन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी उक्रजालिज्नित्सिया करती है। यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा रेल यात्री वाहक है और माल ढुलाई में इसका सातवां स्थान है। यूक्रेन के रेल नेटवर्क का निर्माण सबसे पहले सोवियत काल से पहले हुआ था। यूक्रेन का नेटवर्क मुख्यतः ब्रॉड गेज रेलवे है और इसका उपयोग अधिकांश यूरोप में होता है।
फरवरी 2023 में जो बाइडन के यूक्रेन दौरे पर अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने बताया था कि यूक्रेनी सेना ने रूस के साथ सीमा पार संपर्क को नष्ट कर दिया है, रेल नेटवर्क अभी भी अन्य देशों से जुड़ा हुआ है। यूक्रेन में वाणिज्यिक हवाई संपर्क बंद होने और नेताओं के देश में आने-जाने के लिए हवाई जहाजों का खतरनाक होना, यूक्रेन का रेल नेटवर्क देश का कूटनीतिक राजमार्ग बन गया। लड़ाई शुरु होने के बाद कई विदेशी राजनयिक ट्रेन से देश में पहुंच चुके हैं।
उक्रजालिज्नित्सिया के सीईओ अलेक्जेंडर कामिशिन के अनुसार, युद्ध से पहले यूक्रेन में विमान, कार, बसें और ट्रेनें थीं। लेकिन अब ट्रेनें और कारें की चल रही हैं, कोई हवाई जहाज सेवा नहीं है। कामिशिन ने सीएनएन को बताया, ‘हम एक बड़े देश हैं। इसलिए कीव से पश्चिम, दक्षिण या पूर्वी यूक्रेन जाने के लिए स्लीपर ट्रेनें सबसे अच्छा तरीका हैं। आप देर शाम को ट्रेन में जाते हैं, पूरी रात यात्रा करते हैं और सुबह आप अपने गंतव्य पर होते हैं। इसलिए आपके समय की बर्बादी नहीं होती। युद्ध से पहले रेलवे आरामदायक था और अब यह आरामदायक और सुरक्षित है। ट्रेनें बहुत महत्वपूर्ण हैं।’
अगर लड़ाई के दौरान किसी भी रेलवे लाइन को नुकसान पहुंचता है तो अधिकारी तुरंत ठीक करने के लिए तैयार हो जाते हैं। दक्षिणी शहर खेरसॉन में संघर्ष के ठीक आठ दिन बाद ही शहर में ट्रेनें फिर से चलने लगी थीं।
मोदी की यूक्रेन यात्रा का कार्यक्रम क्या है?
प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार पोलैंड से 22 अगस्त को यूक्रेन के लिए रवाना होंगे। ट्रेन में करीब 10 घंटे का सफर करके वह 23 अगस्त (शुक्रवार) को कीव पहुंचेगे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के कार्यालय के अनुसार, 23 अगस्त को यूक्रेन के राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यात्रा के दौरान विशेष रूप से पीएम मोदी की यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ बातचीत होगी, जिसमें वे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बयान के अनुसार, यूक्रेन और भारत के बीच कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है। प्रधानमंत्री यात्रा के दौरान छात्रों सहित भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे।
यात्रा के एजेंडे में क्या है?
कीव में प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में कई द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलू शामिल होंगे। दौरे से पहले पीएम मोदी ने एक बयान में कहा था कि वह द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और जारी यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पिछली बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘एक मित्र और साझेदार के रूप में, हम इस क्षेत्र में शीघ्र ही शांति और स्थिरता की वापसी की आशा करते हैं।’ वहीं, विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान बताया कि भारत ने हमेशा यूक्रेन में संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति और बातचीत की वकालत की है। तन्मय ने कहा कि यूक्रेन में चल रहा संघर्ष चर्चा का हिस्सा होगा। कृषि, बुनियादी ढांचा, फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य और शिक्षा, रक्षा और लोगों के बीच संबंध से मुद्दे वार्ता का हिस्सा होंगे। रिपोर्ट्स थीं कि संघर्ष के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत मदद करना चाहता है। इससे जुड़े सवाल पर तन्मय लाल ने कहा कि भारत न केवल संघर्ष का शांतिपूर्ण हल खोजने के लिए, बल्कि पुनर्निर्माण प्रक्रिया में भी सभी आवश्यक समर्थन और योगदान देने को तैयार है।

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