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संस्कृत विद्वान रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये जाएंगे

प्रसिद्ध उर्दू कवि, गीतकार गुलजार और संस्कृत विद्वान रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। दोनों को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने यह घोषणा की है।
इन दोनों को ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 के लिए चुना गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है। संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया है। ’’ वर्ष 2022 के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया।
गुलज़ार को मिल चुका है पद्म भूषण और साहित्य अकादमी अवार्ड
गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 को पंजाब के दीना में हुआ था। दीना शहर अब पाकिस्तान में है। विभाजन के बाद गुलजार का परिवार अमृतसर आ गया था। इसके बाद वह मुंबई चले गए और यहीं बस गए।गुलजार को 2002 में उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण पुरस्कार और 2013 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और इन्हे कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा में महान योगदान दिया है।वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार गुलजार दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का परिचय
रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में यूपी के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में हुआ था।अपने जन्म के दो महीने के भीतर, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपनी दृष्टि खो दी थी। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। वह 1988 से इस पद पर बने हुए हैं। चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। पद्म विभूषण रामभद्राचार्य ने 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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