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फिर टली राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल विस्तार, राजस्थान में सरकार बचाने वालों को करना होगा विधायकी से ही संतोष

जयपुर। प्रदेश में 20 जिलों के 1 नगर निगम, 9 नगर परिषद और 80 नगरपालिका में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो चुकी है, ऐसे में सरकार में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम भी एक महीने आगे खिसक गया है।

कहा जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनावों के बाद सरकार की पहली प्राथमिकता बजट पेश करने की रहेगी और बजट पेश करने के बाद सरकार राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद शुरू कर सकती है। राजनीतिक हलकों में चर्चा चल रही है कि मंत्रिमंडल विस्तार विस्फोटक हो सकता है, लेकिन जानकारों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार का मामला शांतिपूर्ण संपन्न हो जाएगा। इसके पीछे आलाकमान के निर्देशों का दबाव रहेगा।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट गुट की ओर से की गई बगावत के कारण सरकार संकट में आ गई थी और काफी परेशानियों का सामना उठाना पड़ा। इस प्रकरण से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पायलट और उनके साथी विधायकों से काफी नाराज थे। पायलट की घर वापसी के बाद भी उन्हें सत्ता और संगठन में प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने की चर्चाएं थी। इसी बीच दूसरा गुट भी सरकार बचाने की एवज में सत्ता और संगठन में भागीदारी के लिए आगे आ गया।

उधर पायलट गुट भी प्रतिनिधित्व को लेकर आलाकमान के पास पहुंच गया। हंगामे के बीच प्रदेश प्रभारी अजय माकन को दिल्ली से संदेश भेजना पड़ा। ऐसे में प्रदेश में चल रही उठापटक को शांत करने के लिए आलाकमान की ओर से प्रदेश कांग्रेस को सिर्फ एक ही निर्देश मिला कि सभी को साथ लेकर चलो।

आलाकमान के निर्देशों के बाद प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म करने के लिए सभी को सत्ता और संगठन में प्रतिनिधित्व दिए जाने की संभावना है। किसानों के लिए कांग्रेस की ओर से शहीद स्मारक पर आयोजत धरने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट द्वारा मंच साझा किया गया। वहीं शाम को मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों के लिए आयोजित बैठक में भी पायलट ने मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा किया। जो साफ संकेत देता है कि पायलट गुट को भी अब प्रतिनिधित्व मिल जाएगा।

मंत्रीमंडल विस्तार में दूसरे गुट को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या उन विधायकों की होगी, जिन्होंने सरकार बचाने के लिए साथ दिया। मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस लगाए बैठे कांग्रेसी विधायकों को तो आलाकमान के आदेश का हवाला देकर शांत कर दिया जाएगा, लेकिन देखना होगा कि अन्य विधायकों को समझाने के लिए राजनीति के जादूगर क्या जादूगरी दिखाते हैं, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार शांतिपूर्ण तरीके से हो जाए।

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