जयपुर। राजस्थान में कोरोना जांच के लिए आटीपीसीआर टेस्ट को ही प्राथमिकता दी जा रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि यही टेस्ट सबसे विश्वसनीय है। अभी तक प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा कोरोना जांच की जा चुकी है। प्लाज्मा थेरेपी दिए गए सभी 116 मरीज और जीवनरक्षक इंजेक्शन दिए गए 176 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
शर्मा ने एंटीजन टेस्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाजे हुए कहा कि एक निजी अस्पताल की ओर से 200 किट मंगवाकर की गई जांच में 50 फीसदी किट मानकों पर खरे नहीं उतरे और पॉजिटिव को नेगेटिव बता रहे हैं। शेष 50 फीसदी किट द्वारा जांच करवा कर इन किट्स की विश्वसनीयता की सही स्थिति का पता चल सकेगा।
प्रायोगिक परीक्षणा मरीजों का जीवन खतरे में डालने जैसा
शर्मा ने कहा कि जब देश में प्रतिदिन 55 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस आ रहे हों, ऐसे में मरीजों पर प्रायोगिक परीक्षणा करना, उनका जीवन खतरे में डालने जैसा है। विदेशी कंपनियों के कम विश्वसनीय टेस्ट को मंजूरी देकर केंद्र सरकार लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही है। इससे पूर्व भी आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त रैपिड टेस्टिंग किट के नतीजों को लेकर राजस्थान सरकार ने सवाल उठाए थे और इन किट्स के इस्तेमाल पर रोक लगी थी।
सभी मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा बैंक
शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 116 लोगों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। इसका शत प्रतिशत परिणाम रहा है। जयपुर, जोधपुर, कोटा के बाद उदयपुर और बीकानेर में भी प्लाज्मा थेरेपी के जरिए लोगों को जीवनदान दिया जा रहा है। अजमेर में भी शीघ्र प्लाज्मा थेरेपी से इलाज मिलना शुरू हो जाएगा।