पहले भी महल से हटाया जा चुका है सीमेंट का काम
जयपुर। विश्व विरासत स्थल आमेर महल में नियमविरुद्ध सीमेंट सरिये के प्रयोग का मामला संज्ञान में आने के बाद महल प्रशासन और आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) बचाव पर उतर आई है, ताकि छत में सीमेंट से मरम्मत कराने के दोषी अधिकारियों को बचाया जा सके।
दोनों ही ओर से बयान दिया गया है कि यह सीमेंट का कार्य पुराने समय में किया गया था। मामला उजागर होने के बाद पुरातत्व, कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव और एडमा की सीईओ मुग्धा सिन्हा ने एडमा से और पुरातत्व विभाग के निदेशक पीसी शर्मा ने आमेर महल अधीक्षक से इस मामले में जवाब तलब किया था।
पुरातत्व-एडमा ने माना मरम्मत में सीमेंट का उपयोग
जानकारी के अनुसार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और एक दशक से आमेर महल अधीक्षक का काम संभाल रहे पंकज धरेंद्र ने जवाब दिया कि महल के टॉयलेट में सीमेंट और सरिए का उपयोग काफी समय पूर्व किया गया था। सीमेंट की छत पर चूने का प्लास्टर नहीं कराया जा सकता है, इसलिए गिरी हुई जगह पर सीमेंट से दोबारा प्लास्टर कराया गया है। वहीं दूसरी ओर एडमा के काबिल इंजीनियरों की ओर से भी तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कहा गया कि सीमेंट की छत 25-30 वर्ष पूर्व बनाई गई थी। छत का निर्माण एडमा की ओर से नहीं कराया गया। सीमेंट की होने के कारण इसपर चूने का प्लास्टर नहीं कराया जा सकता है, इसलिए छत के टूटे हिस्से पर सीमेंट का प्लास्टर कराया गया है। इससे स्मारक के हैरिटेज स्वरूप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
विभाग की दलीलें बचाव का रास्ता
कुल मिलाकर अधिकारियों ने अपने बचाव का रास्ता तलाश लिया है, लेकिन इन दलीलों से वह अपनी कारगुजारियों से नहीं बच सकते हैं। एडमा यहां आरसीसी की छत बता रहा है, जबकि ऊपर रहने वाले पुजारी परिवार का कहना है कि यहां चूने-पत्थर से बनी छत है। ऐसे में हो सकता है कि चूने की छत के नीचे सरिए लगाकर सीमेंट का प्लास्टर किया गया हो। पुरातत्व निदेशक को इस संबंध में एक कमेटी बनाकर जांच करानी चाहिए कि क्या यहां आरसीसी की छत है।
छत हटाने में नहीं होगी परेशानी यूनेस्को की गाइडलाइन और पुरातत्व नियमों के अनुसार स्मारकों में सीमेंट का उपयोग नहीं हो सकता है। यदि यह छत पुरानी है तो मामला संज्ञान में आने के बाद पुरातत्व विभाग को इसे हटाना चाहिए था, न कि दोबारा इसपर सीमेंट से प्लास्टर करना चाहिए था। यदि यहां सीमेंट का प्लास्टर और सरिए हैं तो इसे हटाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन यदि यह आरसीसी की छत है तो भी इसे हटाना ही सही है। फिर विभाग के पास बजट की भी कोई कमी नहीं है। संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य सतत प्रक्रिया है और ऐसे में पुरातत्व विभाग को कागजी कार्रवाई कर इस मामले को ढंकने के बजाए इस छत को हटाकर पुरानी गलती को दुरुस्त करना चाहिए।
पहले हटाई गई थी सीमेंट
आमेर महल के पूर्व अधीक्षक जफरउल्ला खान के अनुसार पुराने समय में महल में कई हिस्सों में सीमेंट का उपयोग हुआ था। वर्ष 2006-07 के दौरान सभी जगहों से सीमेंट को हटाया गया और मूल स्वरूप स्थापित करने के लिए चूने का प्रयोग किया गया। महल की छतों पर सीलन रोकने के लिए तारकोल का प्रयोग था, जिसे हटाकर लाइम-सुर्खी का दड़ किया गया था। इस दौरान चांदपोल गेट के बाहर आवास-विकास संस्थान की ओर से सीमेंट-कंक्रीट का नया टॉयलेट बनाया गया था। मूल स्वरूप बरकरार रखने के लिए इस टॉयलेट को भी तुड़वाया गया। इसी समय हवामहल में भी कई जगहों पर प्रयोग किए गए सीमेंट को हटाया गया था।