आजकल दबी जुबान से लोग चर्चा कर रहे हैं कि राजस्थान प्रदेश ( Congress) के एक असंतुष्ट नेता पार्टी तोड़कर एक नयी पार्टी बना सकते हैं। उनके हाव-भाव भी कुछ ऐसा ही संकेत कर रहे हैं लेकिन ये असंतुष्ट नेता इस बात से डरे हुए हैं कि वे तो अपने समाज के वोटरों को एकजुट कर सकते हैं, लेकिन उनके शागिर्द अपनी-अपनी जातियों को नयी पार्टी के पक्ष में एकजुट नहीं कर पाएंगे। इसी के चलते वह एक साल से अधरझूल में हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जोश-जोश में असंतुष्ट नेताजी ने पार्टी से बगावत तो कर डाली, लेकिन अब उनका अपनों पर ही भरोसा डोलने लगा है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि यदि वह अपनी पार्टी बना भी लेते हैं तो उनके शागिर्द नयी पार्टी को इतने वोट नहीं दिला पाएंगे, जो कि नई पार्टी के लिए सम्मानजनक स्थान पाने को जरूरी है। अब कहा जा रहा है कि वह दूसरी पार्टियों के गठजोड़ के जुगाड़ में लगे हुए हैं।
इन दिनों युवक कांग्रेस से निकले एक विधायक ने राजस्थान कांग्रेस में असंतुष्ट गुट की ओर से बयानवीर के रूप में मोर्चा संभाल रखा है और वे एससी वर्ग के साथ न्याय नहीं होने की बात बार-बार कर रहे हैं। ये बयानवीर विधायकर कांग्रेस में अपनी एन्ट्री के वक्त ‘राजीव अरोड़ा जिन्दाबाद के नारे लगाया करते थे। जो बाद में तरक्की करते हुए ‘अशोक गहलोत जिन्दाबाद’ के नारे लगाने लगे। इन्हें 2008 के विधानसभा का टिकट भी मिला लेकिन चुनाव हार गये। इन्हीं विधायक ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी को धौलपुर-करौली सीट दिलाने के लिए काफी हाथ-पैर मारे, जिसके चलते उस समय 21 सीटों में से 5 सीटें लाने के बावजूद भी यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। अपने मंसूबों पर पानी फिरता देख इन्होने अपनी निष्ठा बदल डाली।
यह विधायक अपने आप को बगावती गुट का बड़ा सिपहसालार समझ रहे हैं और प्रदेशभर के एससी वोटरों को असंतुष्ट खेमे के पक्ष में लाने के प्रयास में जुटे हैं, जिसके चलते कांग्रेस में चिंताएं बढ़ गई है।
सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में अगले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अपने प्रमुख वोट बैंकों को संभालने का काम कर रही है। एससी, एसटी और मुस्लिम कांग्रेस के प्रमुख वोट बैंक है। हालांकि बंगाल में एआईएमआईएम की हवा निकल चुकी है, लेकिन फिर भी कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को लेकर चिंतित है और इसीलिए वह ओबीसी वोटबैंक को ज्यादा से ज्यादा अपनी तरफ खींचने में जुटी है, लेकिन असंतुष्ट नेता इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बन रहे हैं, क्योंकि वह ओबीसी के साथ-साथ कांग्रेस के प्रमुख वोटबैंक एससी-एसटी में भी सेंधमारी कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि असंतुष्ट गुट की इन कारगुजारियों की पूरी रिपोर्ट दिल्ली तक पहुंच गई, जिसके बाद आलाकमान भी इन पर सख्त दिखाई दे रहा है। दो दिन पूर्व ही अजय माकन राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार पर बोल चुके हैं कि नियुक्तियों से पहले विधायकों का रिपोर्ट कार्ड देखा जाएगा। इस बयान को असंतुष्ट गुट के खिलाफ सीधी चेतावनी के रूप में देख जा रहा है और कहा जा रहा है कि भविष्य में आलाकमान ऐसी गतिविधियों पर सख्त कदम भी उठा सकता है।