हमारे बजाज यानी बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन पद्मभूषण राहुल बजाज अब नहीं रहे। शनिवार, 12 फरवरी को पुणे में उनके आवास पर उनका निधन हो गया। वर्ष 2006 से वर्ष 2010 तक राज्यसभा के सांसद रहे राहुल बजाज 83 वर्ष के थे। उनके निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक नेताओं और उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों ने शोक जताया है।
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘‘श्री राहुल बजाज जी को वाणिज्य और उद्योग जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा। कारोबार करने के अलावा वह सामुदायिक सेवा के प्रति भी हमेशा अत्यंत उत्साहित रहते थे और उनकी संवाद शैली भी बेजोड़ थी। उनके निधन से काफी दु:खी हूं। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।’’
एक समय था मध्यवर्गीय परिवारों में बजाज के किसी ब्रांड का स्कूटर होना बड़ी शान की समझी जाती थी। लोग बजाज स्कूटर को बेहद विश्वनीय सवारी के तौर पर इस्तेमाल करते थे। ऑटो इंडस्ट्री में बजाज ऑटो की इस पैठ को जमाने का श्रेय राहुल बजाज को ही जाता है। बजाज ऑटो के स्कूटर के टीवी पर आने वाले विज्ञापन की टैग लाइन ‘हमारा बजाज’ काफी लोकप्रिय हुई थी। बीते वर्ष 82 वर्ष की अवस्था में बजाज ऑटो में गैर-कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन पद से 30 अप्रैल को इस्तीफा दिया था। यद्यपि वे अंत तक चेयरमैन एमेरिटस बने रहे।
राहुल बजाज की टिप्पणियों को न केवल उद्योग जगत में बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी बहुत ही ध्यान से सुना जाता था और उन्हें महत्व दिया जाता था। वे बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात रखने वाले पारंगत उद्योगपति थे। यह उनकी खासियत थी कि उनका स्पष्टवादिता से विचार रखने की कला। इसके कारण चाहे सरकार के साथ ठन जाए, चाहे अपने खुद के बेटे के साथ टकराव हो, वे अपनी बात जरूर कहते थे।
नवंबर 2019 में उन्होंने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में सरकार की खुलकर आलोचना की और यह आलोचना उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में कहीं। उन्होंने निर्भीकता के साथ कहा था, ‘ देश में ‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं, इसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे।’’
बजाज ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातक और अमेरिका के हार्वर्ड बिजनस स्कूल से एमबीए किया। अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में बजाज ऑटो के उप महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया और 1968 में 30 साल की उम्र में वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने।
ऑटोमोबाइल, जीवन बीमा, निवेश एवं उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व संभालकर उन्होंने इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया। उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की। राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। हालांकि, जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा खुलकर व्यक्त किया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ।’’
वे इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वे ऐसे एकमात्र व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे।