जयपुर। प्रदेश के बहुचर्चित भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सजा के साथ इन सभी को दस-दस हजार रुपए का अर्थदंड भी दिया गया है। इस मामले में 35 वर्षों की कानूनी जंग के बाद आखिरकार पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिला है।
सजा का ऐलान होने के बाद राजा मानसिंह की सबसे बड़ी पुत्री और राजस्थान की पूर्व मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने इस फैसले पर खुशी जताई और कहा कि 35 वर्ष बाद उनके परिवार को आखिर न्याय मिला है।
जिला एवं सत्र न्यायालय, मथुरा ने मंगलवार को ही इस मामले में सुनवाई पूरी कर 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दे दिया था। आज इन्हें सजा भी सुना दी गई। इनमें डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरि सिंह, शेर सिंह, छतर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एएसआई रवि शेखर का नाम शामिल है।
इन सभी को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी माना गया और इन सभी को कस्टडी में ले लिया गया था। वहीं पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरि किशन, कांस्टेबल गोविंद प्रसाद, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरवी पर आरोप साबित नहीं होने पर अदालत ने इन्हें बरी कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि भरतपुर के राजा मानसिंह और उनके दो साथियों ने 20 फरवरी 1985 को रियासत का झंड़ा उतारने से नाराज होकर अपनी जोंगा जीप से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में होने वाली सभा के मंच को तोड़ दिया था। बाद में उन्होंने माथुर के हेलीकॉप्टर को भी जोंगा से टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया था।
इसके बाद 21 फरवरी को पुलिस मुठभेड़ में इन तीनों की मृत्यु हो गई थी। यह जोंगा आज भी थाने में पड़ी है और पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो चुकी है। 22 फरवरी को मानसिंह की अंत्येष्टि में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और पुलिस के इस एनकाउंटर पर नाराजगी जताई। इस मामले में सियासी बवाल भी हुआ था। ऐसे में सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
जयपुर सीबीआई कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। वादी की ओर से सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर मुकद्दमे को राजस्थान से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की गई और 1 जनवरी 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकद्दमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा स्थानांतरित कर दिया।