राजस्थान में सीकर स्थित रैवासा धान के पीठाधीश्वर पूज्य महंत राघवाचार्य महाराज के दुखद निधन की जानकारी प्राप्त हुई है। सीकर जिले में आज, शुक्रवार 30 अगस्त 2024 को जानकीनाथ मंदिर रैवासा धाम के पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य जी महाराज को सुबह 7 बजे बाथरूम में अचानक दिल का दौरा पड़ा था। इसके उन्हें इलाज के लिए तुरंत सीकर के अस्पताल में लाया गया जहां डॉक्टरों की टीम ने स्वामी जी महाराज के निधन की पुष्टि कर दी। महंत राघवाचार्य महाराज का अंतिम संस्कार आज शुक्रवार शाम 4 बजे रैवासा मंदिर के पास बावड़ी प्रांगण में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में संत-महात्मा, महापुरुष, और आसपास के इलाके के लोग मौजूद रहेंगे। रैवासा धाम में स्वामी जी का निधन होने पर सुबह से अनुयायी राम धुन का आयोजन कर रहे हैं।
परम पूज्य रैवासा पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री राघवाचार्य जी महाराज के ब्रह्मलीन होने का समाचार सुनकर मन बहुत व्यथित है।
महाराज जी का देवलोकगमन सनातन व आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। आपके ओजस्वी विचार और आदर्श जीवन की प्रेरणा सदैव मानवता के लिए मंगलकारी सिद्ध होंगे।… pic.twitter.com/8gXHoTpasV
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) August 30, 2024
महंत राघवाचार्य महाराज का जीवन धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में समर्पित रहा। वे सीकर के जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे, जो भगवान राम का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना 1570 में हुई थी और यह क्षेत्र की सबसे प्राचीन पीठों में से एक है। महंत राघवाचार्य महाराज की नेतृत्व में, रैवासा धाम ने वैष्णव संप्रदाय के महत्वपूर्ण आचार्यों को तैयार किया। वैष्णव संप्रदाय में 37 आचार्यों में से 12 आचार्य इसी गद्दी से जुड़े हुए थे।
राघवाचार्य महाराज ने महत्वपूर्ण धार्मिक पदों की रचना की
राघवाचार्य महाराज के नेतृत्व में रैवासा पीठ ने मधुर उपासना और धार्मिक प्रचार को बढ़ावा दिया। उन्होंने जनकपुर तक गाए जाने वाले होली के पद और अग्रदेवाचार्य महाराज द्वारा बनाए गए महत्वपूर्ण धार्मिक पदों की रचना की। उनके योगदान और शिक्षाओं ने न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि पूरे देश के अनुयायियों को प्रभावित किया है।
राघवाचार्य महाराज की अंतिम विदाई
उनके निधन से धार्मिक समुदाय में एक बहुत बड़ा खालीपन पैदा हो गया है। उनके लाखों अनुयायी और भक्त आज रैवासा धाम में उनकी अंतिम विदाई में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
राघवाचार्य महाराज का रामजन्म भूमि आंदोलन से संबंध
बता दें कि रैवासा पीठाधीश्वर को राम मंदिर में जाने का न्योता मिला था। इसके अलावा उन्होंने एक बार मीडिया को दिए 1 इंटरव्यू में बताया था कि 1984 में वो रामजन्म भूमि आंदोलन जुड़े थे। तब एक दिन में 10 से ज्यादा सभाओं में बोलना पड़ता था। इसके वजह से कई बार उनकी आवाज तक नहीं निकलती थी। स्वामी राघवाचार्य जी महाराज भगवान राम के परम भक्त थे। इन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। महाराज जी राम जन्मभूमि आंदोलन के समय कार सेवकों के जत्थे को लेकर जयपुर से लेकर गए थे। जत्थे को पुलिस ने रास्ते में ही पकड़ लिया और आगरा की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया। जत्थे में कई विधायक भी शामिल थे। जेल में महाराज सहित अन्य साधु संतों का दिन में प्रवचन होता था और शाम को भजन संध्या होती थी। नौ दिन तक जत्थे में शामिल लोगों को जेल में रखा गया फिर राजस्थान बॉर्डर पर जंगल में छोड़ दिया गया। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए महाराज चांदी की ईट लेकर उसमें शामिल हुए थे। भूमि पूजन में लगाई गई चांदी की ईंट पर 11 लाख राम नाम लिखे हुए थे।