राजस्थान में भजनलाल सरकार एक के बाद एक बड़े फैसले कर रही है। पहले सरकार ने संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। अब नगरीय विकास एवं स्वास्थ्य शासन विभाग के अधीन निकायों में सेवानिवृत्ति उपरांत समेकित पारिश्रमिक, संविदा, पे-माइनस पेंशन अथवा अन्य किसी भी माध्यम से कार्यरत सेवानिवृत्त कर्मचारियों अधिकारियों की सेवाएं समाप्त की गई है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा के निर्देश पर दोनों विभागों ने संयुक्त आदेश जारी किया है। आदेश में यह भी लिखा गया है कि पालना रिपोर्ट बुधवार को ही भिजवाई जाए।
सूत्रों की मानें तो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हर महीने करोड़ों रुपए सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों पर ही खर्च किया जा रहा था। इनकी जांच कराई तो सामने आया कि जिस मकसद से इन्हें रखा गया था, वो काम हो नहीं रहे है। यही वजह है कि यूडीएच मंत्री की पहली समीक्षा बैठक के बाद ही बेवजह लगे सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों को हटाने के संबंध में चर्चा हुई थी।
अब आदेश निकालकर इनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। आपको बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार के समय बड़ी संख्या में यूडीएच, डीएलबी, जेडीए सहित कई निकायों में सलाहकार के नाम पर सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को तैनात किया गया था।
मनोनीत पार्षद, बोर्ड व आयोग अध्यक्षों को पहले ही हटा चुकी सरकार
इससे पहले ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कई बड़े फैसले चुके हैं। सरकार ने पिछले दिनों ही एक आदेश जारी कर सभी मनोनीत पार्षदों को मनोनयन निरस्त कर दिया था। साथ ही, बोर्ड व आयोगों के अध्यक्षों को भी हटाया जा चुका है।