राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अब पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी की गंगा बहाने के काम की शुरूआत करेंगे। शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ईआरसीपी की चाबी सौंप दी है। ऐसे में आने वाले छह महीनों में शर्मा को अपनी उपयोगिता सिद्ध करनी होगी और ईआरसीपी परियोजना पर पहल करनी होगी क्योंकि लोकसभा चुनावों में ईआरसीपी बहुत बड़ा मुद्दा साबित होने वाला है, जो आधे राजस्थान की लोकसभा सीटों को प्रभावित करेगा।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी परियोजना लाने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार कांग्रेस की बन गई। ऐसे में यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया था। होने को तो यह राजस्थान का मुद्दा है, लेकिन विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनावों में भी यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर प्रदेश में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश में रहेगी।
पूर्वी राजस्थान के लिए सौंपी कुर्सी
ऐसे में भाजपा ने अभी से इस मुद्दे की काट करना शुरू कर दिया है। पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को इसी लिए मुख्यमंत्री की कर्सी सौंपी गई है, क्योंकि ईआरसीपी के जरिए भाजपा को पूर्वी राजस्थान में अपनी जड़ें मजबूत करनी है। ऐसा नहीं है कि कोई अन्य मुख्यमंत्री इस परियोजना पर काम नहीं कर पाता। हकीकत यह है कि शर्मा भरतपुर के मूल निवासी हैं। ऐसे में उन्हें पूर्वी राजस्थान की राजनीति की पूरी जानकारी है। इस परियोजना के जरिए वह पूर्वी राजस्थान में भाजपा की पकड़ को मजबूत करने का काम करेंगे।
पकड़ बनाने की है लड़ाई
पूर्वी राजस्थान इस लिए महत्वपूर्ण बन जाता है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया था। इस चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच पूर्वी राजस्थान को लेकर गदर मचा हुआ था। भाजपा जहां सत्ता में वापसी के लिए पूर्वी राजस्थान में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में जुटी थी। वहीं कांग्रेस भी प्रदेश में रिवाज बदलने और फिर से अपनी सरकार बनाने की कोशिश में पूर्वी राजस्थान पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाह रही थी।
कांग्रेस ने बनाया था प्रमुख मुद्दा
विधानसभा चुनावों से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व ही ईआरसीपी का मुद्दा गरमाने लगा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ईआरसीपी को लेकर राजस्थान की जनता से वादाखिलाफी के आरोप लगाए। कई बार उन्होंने इसको लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे और इसे मुद्दा बना दिया। बाद में उन्होंने खुद के दम पर इस परियोजना को पूरा करने की बात कही थी, लेकिन काम कुछ हो नहीं पाया। चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस की ओर से पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी यात्रा निकालकर फिर से इस मुद्दे को गरमाने की कोशिश की गई, लेकिन कांग्रेस को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया।
काम होगा तो भरेगी झोली
कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लोकसभा चुनावों में फिर से प्रमुखता के साथ उठा सकती है। अब प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बन चुकी है। ऐसे में अगर केंद्र और राज्य सरकार प्राथमिकता के साथ इस मुद्दे पर काम करती है और छह महीनों के अंदर इस परियोजना की शुरूआत भी करा देती है, तो भाजपा पूर्वी राजस्थान में फिर से लीड लेने और राजस्थान से 25 सीटें जीतने के टार्गेट को पूरा कर पाएगी।