राजस्थान में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार हैं। 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद भी अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि बीजेपी ओर से राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा? कयास लगाए जा रहे हैं कि रविवार को विधायक दल की बैठक हो सकती। इस बीच सियासत में चर्चा है कि पूर्व वसुंधरा राजे और सांसद बाबा बालक नाथ अब मुख्यमंत्री की दौड़ में उस तरीके से नहीं है। जैसा पहले मजबूत माना जा रहा था।
बुधवार शाम से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तेवर बदले बदले नजर आए। वसुंधरा के पार्टी लाइन से बाहर नहीं जाने के बयान के बाद माना जा रहा है कि अब वसुंधरा राजे अब बैकफुट पर आ गई है। इधर, बाबा बालक नाथ ने भी सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में सियासत में चर्चा है कि यदि ये दोनों नाम सीएम पद की रेस में कम प्रभावी दिख रहे हैं तो ऐसे में अब राजस्थान में नए सीएम कौन होगा।
वसुंधरा राजे के बयान से उनके बैकफुट पर आने की चर्चा
3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सक्रिय हो गई थी। इसको लेकर वे लगातार भाजपा के विधायकों और निर्दलीय विधायकों के संपर्क में थी। इसको लेकर बीते दिनों से लगातार भाजपा के विधायक राजे के आवास पर उनसे मुलाकात कर रहे थे। विधायकों ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग भी उठाई। उधर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बार बदलाव के संकेत दिए। अमित शाह का यह बयान चेंज होते रहता है, इस ओर इशारा कर रहा है कि राजस्थान में बदलाव होगा। इसके बाद यह भी माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे को भी कहीं ना कहीं इस बात का अहसास हो गया कि राजस्थान में अब उनकी जगह नया मुख्यमंत्री बन सकता है। इस पर वसुंधरा राजे ने बड़ा बयान दिया। इसमें कहा कि वह पार्टी लाइन के बाहर नहीं जाएगी। वह पार्टी की समर्पित कार्यकर्ता है। वसुंधरा के इस बयान को पार्टी के रुख को देखकर उनके बैकफुट पर आने से जोड़कर देखा जा रहा है।
बालक नाथ भी मुख्यमंत्री की दौड़ में कमजोर पड़े
अलवर सांसद बाबा बालक नाथ मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे। उनका नाम काफी सुर्खियों में रहा। लेकिन बुधवार को बीजेपी ने अपने तीन सांसद दिया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह, राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा से इस्तीफे दिलवाए। लेकिन बीजेपी ने बाबा बालक नाथ से अपना इस्तीफा नहीं दिलवाया। इसको लेकर सियासत में चर्चा है कि शायद अब बाबा बालक नाथ मुख्यमंत्री पद के लिए शायद उतनी मजबूती से दौड़ में नहीं रहे हैं। ऐसे में अब मुख्यमंत्री के लिए शेष रहे चेहरों को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हो गई है।
1. दीया कुमारी
बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में राजसमंद की सांसद और जयपुर राजघराने की दीया कुमारी को विद्यानगर विधानसभा सीट से मैदान में उतरा। जहां उन्होंने कांग्रेसी प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल को रिकॉर्ड तोड़ 71 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। दीया कुमारी विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर काफी सुर्खियों में रही। दीया कुमारी को पार्टी हाई कमान के काफी करीब नेताओं में शामिल माना जाता है। ऐसे में राजस्थान से नए मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम की भी प्रबल संभावनाएं बन रही है।
2. गजेंद्र सिंह शेखावत
जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की काफी अटकलें लगाई गई थी। लेकिन उन्हें विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ाया गया। शेखावत बीजेपी के ऐसे दिग्गज नेता है। जिन्होंने पूरे 5 साल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जमकर मुकाबला किया है। इसलिए लिहाज उनकी दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है।
3. राज्यवर्धन सिंह राठौड़
बीजेपी ने सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को भी राजधानी जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा। जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक चैधरी को 50 हजार से अधिक मतों से हराया है। राठौड़ का नाम भी मुख्यमंत्री के दावेदारों में से माना जा रहा है।
4. किरोड़ी लाल मीणा
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को लेकर भी सियासत में काफी चर्चा चल रही है। उन्हें भी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा है। बुधवार को उन्होंने भी राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद उनके भी मुख्यमंत्री बनने को लेकर अटकले लगाई जा रही है।
5. अर्जुन राम मेघवाल
बीकानेर सांसद और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। मेघवाल का नाम भी सियासत में काफी सुर्खियों में रहा। अर्जुन राम मेघवाल दलित समाज से जुड़े हुए भाजपा के बड़े नेता है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार दलित कार्ड खेलते हुए अर्जुन राम मेघवाल को भी मुख्यमंत्री बन सकती है।