राजस्थान में बीजेपी सरकार आते ही उसने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की कांग्रेस पार्टी से प्रेरित योजनाओं पर कैंची चलानी शुरू कर दी है। इसके तहत महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती 2023 को रद्द कर दिया गया है। इससे एक दिन पहले ही राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को 31 दिसंबर तक बंद करने के आदेश जारी किए थे।
राजस्थान में बीजेपी सरकार आते ही पूर्ववर्ती कांग्रेस की गहलोत सरकार के फैसलों पर कैंची चलनी शुरू हो गई। सीएम भजनलाल शर्मा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से जारी की गई महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती 2023 को बंद कर दिया है। भजनलाल सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस भर्ती के तहत कुल 50,000 पदों पर भर्तियां की जानी थी। सरकार ने महात्मा गांधी सेवा प्रेरक की भर्ती की 13 अगस्त की विज्ञप्ति को वापस ले लिया है।
शांति एवं अहिंसा विभाग की तरफ से राजस्थान के सभी जिलों के सभी राजस्व ग्रामों एवं शहरी क्षेत्र के सभी वार्डों के लिए यह भर्ती की जानी थी। महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती 2023 का नोटिफिकेशन कुछ महीने पहले ही जारी हुआ था। इस भर्ती के तहत कुल 50 पदों पर भर्तियां होनी थी। वर्तमान में इस भर्ती पर हाईकोर्ट की रोक लगी हुई थी। इसके लिए इसी वर्ष 29 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। शांति एवं अहिंसा विभाग ने इसके आदेश जारी किए हैं।
राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना भी बंद
इसी बीच अब भर्ती के लिए जारी प्रक्रिया को बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे पहले भजनलाल सरकार ने राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को 31 दिसंबर तक बंद करने के आदेश जारी किए थे। यह योजना गहलोत सरकार वर्ष 2021-22 से संचालित कर रही थी। 25 दिसंबर को राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप प्रोग्राम को समाप्त करने के आदेश जारी किए गए थे। इसके आदेश आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशक भंवरलाल बैरवा ने आदेश किए थे।
कांग्रेस ने उठाए सवाल और लगाए आरोप
इस बीच राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम बंद करने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार नए साल से पहले हजारों युवाओं को बेरोजगार करने तैयारी कर रही है। बीजेपी सरकार ने राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम समाप्त कर युवाओं को बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की राजनीतिक दुर्भावना सिर्फ नाम से थी जबकि पिछली भाजपा सरकार में पंचायत सहायकों की नियुक्ति हुई थी तो उसके बाद हमारी सरकार आने पर उनका मानदेय बढ़ाकर उन्हें स्थाई करने के प्रावधान का प्रयास किया था।