जयपुर

ऊर्जा मंत्री ने महंगी बिजली (expensive electricity) का दोष केंद्र सरकार( central government) पर मढ़ा

राजस्थान में बिजली खरीद में कोई भ्रष्टाचार नहीं, ढाई साल में 2 लाख 20 हजार कृषि कनेक्शन दिए

जयपुर। राजस्थान में बिजली की बढ़ती कीमतों (expensive electricity) और बिजली खरीद में भ्रष्टाचार को लेकर प्रतिपक्ष भाजपा की ओर से सोमवार को सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया, लेकिन मंगलवार को ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने प्रतिपक्ष के सभी सवालों का जवाब देते हुए आश्वस्त किया कि बिजली की खरीद में कोई भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों के हित का कार्य कर रही है तथा जनहित में फैसले लेकर उन्हें समय पर लागू कर रही है।

डॉ. कल्ला सदन में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया सहित अन्य सदस्यों द्वारा सोमवार को राज्य में विद्युत क्षेत्र से संबंधित उठाये गए मुद्दों पर अपना जवाब दे रहे थे। उन्होंने अपने लिखित वक्तव्य में विद्युत विभाग द्वारा इस कोरोना काल में विभाग की पूरी टीम द्वारा दी गई सेवाओं की जानकारी देते हुए बताया कि विद्युत विभाग द्वारा पूरे कोरोना काल में अस्पतालों, ऑक्सीजन प्लान्ट, आइसोलेशन केन्द्रों एवं सभी इमरजेन्सी सेवाओं को दुरुस्त रखा, विभाग ने इस दौरान अपने 120 से अधिक साथियों को खोया लेकिन यह सुनिश्चित किया कि हमारे घरों एवं संस्थानों पर निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

डॉ. कल्ला ने बताया कि विद्युत क्षेत्र हम सभी के लिए बहुत आवश्यक है एवं हम सबकी जिंदगी के बहुत सारे कार्य बिना विद्युत के संभव होना मुश्किल है। आगे आने वाले दिनों में ई-मोबिलिटी आने के पश्चात हमारी निर्भरता विद्युत क्षेत्र में और अधिक बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि थर्मल संयंत्र कोयला आधारित होते है, कोयले की उपलब्धता राजस्थान में नहीं होने के कारण अन्य राज्यों में स्थित कोयले की खदानों से कोयले की आपूर्ति होती है। इसमें परिवहन में भी अत्यधिक राशि का भुगतान भारतीय रेलवे को करना पड़ता है।

अत: थर्मल संयंत्रों से प्राप्त होने वाली बिजली का क्रय मूल्य अपेक्षाकृत अधिक है। राजस्थान में बिजली की क्रय लागत अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक है। इसलिए राजस्थान में बिजली की दरें अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ राज्यों से अधिक है।

इसी तरह बिजली की खरीद लागत राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग द्वारा वितरण निगमों के राजस्व के आंकलन के समय निधाज़्रित की जाती है। उत्पादन कम्पनियों द्वारा इंधन मूल्य में वृद्धि होने पर अतिरिक्त इंधन भार का बिल वितरण निगमों से वसूला जाता है। वर्ष 2014 से 2021 कोयले की कीमत एवं भारतीय रेल के माल भाडे में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। विद्युत क्षेत्र में जी.एस.टी. नहीं है लेकिन कोयले पर 400 रुपए प्रति टन की दर से कम्पनसेशन सेस लगाया गया है।

यह सेस तभी देय होता है जब कोई राज्य, अन्य राज्य से कोयला लेकर आता है। केन्द्र सरकार (central government) की गलत नीतियों के कारण कोयले के दाम बढ़े है और इसका बोझ उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है। वर्ष 2014 में कोयले की कीमत लगभग 2000 प्रति टन थी जो वर्तमान में बढ़कर 2021 में लगभग 3700 प्रति टन हो गई है।

विद्युत विनियामक आयोग द्वारा जारी टेरिफ रेगुलेशन की अनुपालना में विद्युत खरीद की निर्धारित दर एवं वास्तविक खरीद मूल्य में अन्तर की राशि को फ्यूल सरचार्ज के रूप में लिए जाने का प्रावधान है। फ्यूल सरचार्ज का निर्धारण त्रैमासिक आधार पर किया जाता है। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्यों से कहा कि आपकी सरकार के समय में अक्टूबर, 2018 से दिसम्बर, 2018 की तिमाही में 37 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज वसूला गया था। जबकि वर्तमान में अक्टूबर, 2020 से दिसम्बर, 2020 की तिमाही में 7 पैसे प्रति यूनिट एवं जनवरी से मार्च, 2021 के लिए 16 पैसे फ्यूल सरचार्ज ही लगाया गया है

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