राजनीति

अब होगी कोचिंग सेंटरों पर सख्ती, राजस्थान सरकार ने नियंत्रण करने के लिए विधानसभा में विधेयक पेश किया

जयपुर। राजस्थान सरकार ने बुधवार को राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य कोचिंग हब्स से जुड़े छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकना है। यह प्रस्तावित कानून कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए दो-स्तरीय नियामक प्राधिकरण की स्थापना, उच्च शिक्षा विभाग में अनिवार्य पंजीकरण, और स्कूल समय के दौरान कक्षाएं संचालित करने पर प्रतिबंध जैसे उपायों को शामिल करता है।
विधेयक के अनुसार, जो कोचिंग सेंटर इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, उन पर ₹5 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सहयोगात्मक वातावरण सुनिश्चित करना है।
कोटा में छात्र आत्महत्याओं की स्थिति: 2025 के पहले तीन महीनों में कोटा में कम से कम आठ छात्रों ने आत्महत्या की है। पिछले वर्ष यह संख्या 20 थी, जबकि 2023 में यह 27 थी।
विधेयक का नाम और उद्देश्य
इस विधेयक का नाम ‘राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025’ है, जो केंद्र सरकार की 16 जनवरी 2024 की कोचिंग सेंटर नियामक गाइडलाइंस पर आधारित है।
डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा ने क्या कहा?
डिप्टी मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने कहा, “पिछले दो दशकों में राजस्थान में कोचिंग संस्थानों की अनियंत्रित वृद्धि देखी गई है। ये संस्थान NEET, IIT-JEE, IIM और CLAT जैसी परीक्षाओं में सफलता के झूठे वादों से छात्रों को आकर्षित करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “जब परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं आते, तो छात्र निराशा और मानसिक तनाव का शिकार होते हैं, जो कई बार आत्महत्या जैसे कदमों तक ले जाते हैं।”
प्रमुख प्रावधान:
1. दो-स्तरीय नियामक प्राधिकरण:
o राज्य स्तर पर: 12 सदस्यीय समिति होगी, जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा सचिव करेंगे।
o जिला स्तर पर: जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस अधीक्षक (SP), मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), जिला शिक्षा अधिकारी सहित 12 सदस्यीय समिति बनेगी।
2. कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण
o सभी संस्थानों को तीन महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
o प्रत्येक शाखा को अलग-अलग पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
o पंजीकरण की वैधता 3 वर्ष होगी।
3. छात्रों की सुरक्षा और हित
o झूठे विज्ञापन और “सक्सेस गारंटी” जैसे भ्रामक दावों पर रोक।
o प्रवेश के समय स्क्रीनिंग टेस्ट अनिवार्य।
o मेरिट आधारित बैच विभाजन पर रोक।
o 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों और दसवीं बोर्ड परीक्षा में शामिल न हुए छात्रों को प्रवेश नहीं।
o जेईई/नीट के अलावा वैकल्पिक करियर विकल्पों की जानकारी देना अनिवार्य।
o स्कूल के समय के दौरान कोचिंग कक्षाएं न हों।
4. मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श
o छात्रों और अभिभावकों को कोचिंग के दबाव और बोर्ड परीक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में अंतर के बारे में जानकारी देना अनिवार्य।
o हर कोचिंग संस्थान में करियर काउंसलिंग और मनोचिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य।
o साप्ताहिक अवकाश अनिवार्य।
5. जुर्माने और दंड:
o पहली बार उल्लंघन पर ₹2 लाख जुर्माना।
o दूसरी बार पर ₹5 लाख जुर्माना।
o लगातार उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द किया जाएगा।
कोचिंग संस्थानों का विरोध: कम से कम 25 कोचिंग संस्थानों ने प्रारूप विधेयक का विरोध किया था। प्रमुख आपत्तियां 16 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा, प्रशासनिक निगरानी और भारी जुर्माने पर थीं। इसके बाद कुछ मामूली संशोधन किए गए, लेकिन विधेयक की मूल संरचना बनी रही।
कोचिंग संस्थानों की प्रतिक्रिया
• पीयूष सुंडा, प्रिंस करियर प्वाइंट (सीकर) के मालिक ने कहा, “ये दो स्तरीय निकाय कोचिंग संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म करेंगे।”
• एक पूर्व पुलिस अधिकारी, जो अब जयपुर के कोचिंग संस्थान में पढ़ाते हैं, ने कहा, “सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा की व्यवस्था नहीं है, इसलिए छात्र कोचिंग सेंटरों का सहारा लेते हैं। अच्छे कोचिंग संस्थान पहले से ही काउंसलिंग और छात्र सहायता सेवाएं दे रहे हैं।”
पिछली घोषणाएं: 28 सितंबर 2023 को, राजस्थान सरकार ने आत्महत्याओं को रोकने के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे, जैसे कि..
• मेरिट की जगह वर्णमाला क्रम में बैच विभाजन।
• नौवीं कक्षा से नीचे के छात्रों को प्रवेश नहीं।
• हर हॉस्टल में स्प्रिंग फैन की अनिवार्यता।

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