जयपुर । कोरोना वायरस कोविड 19 महामारी ने गेंदबाजों की धार पर ब्रेक लगा दिया है। तेज गेंदबाजों का मुख्य हथियार सलाइवा (लार) का उपयोग वे गेंद को शाइन करने के लिए करते हैं, लेकिन इस महामारी के कारण बीसीसीआई सहित अन्य देशों ने भी इसे बैन कर दिया है। इससे तेज गेंदबाजों को जहां गेंद को शाइन करने में परेशानी होगी वही बल्लेबाज उनकी गेंदो की जमकर पिटाई भी करेंगे। सलाइवा का उपयोग नहीं करनें से गेंद को स्विंग करवाने में परेशानी होती है।
इस संबंध में राजस्थान की ओर से रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक 472 विकेट लेने वाले पूर्व कप्तान पंकज सिंह ने कहा कि सलाइवा गेंदबाज का मुख्य हथियार होता है और उसका उपयोग नहीं करने से उनके प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। दो टेस्ट में दो विकेट लेने वाले पंकज ने कहा कि इसके लिए बीसीसीआई को एक सिस्टम बनाना पड़ेगा ताकि गेंदबाजों का प्रदर्शन प्रभावित न हो। पसीने को सलाइवा की जगह इस्तेमाल करने पर उन्होंने कहा कि पसीने में साल्ट होता है, जो इतना उपयोगी नहीं होगा। मैंटली बॉलर पर दबाव रहेगा। जैसे जैसे गेंद पुरानी होगी उसे मैनटैन करना होता है और उसके लिए सलाइवा बैस्ट है ।
राजस्थान के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रहे कृष्णकुमार ने कहा कि सलाइवा के बिना गेंद के मूवमेंट पर फर्क पड़ेगा। सलाइवा से शाइन अच्छी होती है। इसमें होने वाली चिपचिपाहट से गेंद स्विंग अच्छी होती है और इससे काफी मदद मिलती है। पसीने में साल्ट होने से लेदर भी खराब होता है। 40 ओवर तक तो पसीना भी नहीं लगा सकते, इससे गेंद खराब हो सकती है। गेंदबाजों को 50 ओवर तक संघर्ष करना पड़ेगा, जिससे बल्लेबाजों का पलड़ा भारी हो जाएगा। हालांकि पसीने के उपयोग से रिवर्स स्विंग में मदद मिलेगी लेकिन वो भी 40 ओवर के बाद। अब गेंदबाजो को मेहनत ज्यादा करनी पडेंगी।
राजस्थान रणजी चैंपियन टीम के मुख्य गेंदबाजों में शुमार सुमित माथुर ने कहा कि तेज गेंदबाजों का खेल शाइन पर निर्भर होता है। बीसीसीआई को सलाइवा की जगह वेसलीन या जैली लगाने की इजाजत देनी चाहिए जो की गेंदबाज अंपायर के पास रखवा सके। जरूरत पड़ने पर गेंदबाज उनकी देखरेख में उसका उपयोग कर सकें। अगर इस पर प्रतिबंध रहा तो गेंदबाजों का करियर छोटा हो जाएगा। 140 की स्पीड है तो गेंदबाज सर्वाइव कर जाएगा लेकिन कम स्पीड के गेंदबाजों को परेशानी होगी।