कृषिकोटा

गाजर का रंग उड़ा… 25 फीसदी खराबे से किसान उदास

कोटा जिले में गत दिनों हुई बारिश एवं मौसम में आए बदलाव का असर इस बार गाजर की फसल पर पड़ा है। किसानों की माने तो पिछले दिनों हुई बारिश एवं मौसम में आए बदलाव के कारण करीब 25 प्रतिशत फसल खराबे के कारण खराब हो गई है। साथ ही, गाजर की क्वालिटी में भी फर्क पड़ा है। कई किसानों ने बताया कि जिले में गाजर की फसल से करीब 1 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
गाजर में लगा कीड़ा
इस बार इसमें करीब 25 प्रतिशत खराबा होने से कुछ उत्पादन पर फर्क पड़ा है। लेकिन प्रतिदिन कोटा एवं जयपुर 5 टन से अधिक गाजर जा रही है। जबकि पूर्व में इससे अधिक उत्पादन होने के साथ ही टोंक से बाहर करीब 7-8 टन गाजर जाया करती थी। कीड़ा लगने के कारण गाजर की कीमत भी पूर्व की अपेक्षा कुछ कम हुई है। कृषि उद्यान के अधिकारी का कहना है कि गाजर में खराबे की स्थिति बहुत कम हो सकती है।
अच्छे उत्पादन की संभावनाएं
इस बार सभी फसलों के अच्छे उत्पादन की संभावनाएं हंै। आगे भी अच्छे ही आसार हैं। बनास नदी के आसपास बेगम बाग, चिड़ी की बाड़ी, सौलंगपुरा, मोलाईपुरा, वजीरपुरा आदि क्षेत्र में गाजर की खेती होती है। जिले में गाजर की खेती करीब 20 हैक्टेयर क्षेत्र में होती है। सर्दी में गाजर का हलवा एवं गाजर की सब्जी आदि भी खूब बरती है। लेकिन इस बार कई जगह तो बाहर से गाजर भी मंगवानी पड़ रही है। गाजर की खेती फरवरी तक चलेगी।

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