जयपुर स्थित राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से यातायात नियमों के उल्लंघन पर नागरिकों को प्राप्त होने वाले ई-चालानों के भुगतान से सम्बंधित लिंक में साइबर ठगों की हेराफेरी के बारे में आम नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। आमजन ‘फर्जी ई-चालानों से बचे तथा वैध और अवैध एसएमएस में अंतर की पहचान कर सके, इसके लिए एडवाइजरी में महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी का समावेश किया गया है।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), साइबर अपराध, एससीआरबी एवं तकनीकी सेवाएं हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि वर्तमान तकनीक युग में नागरिकों द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर उनको ‘ई-चालान जारी किए जाते है, जो नियमों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति के रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर एएएमएस द्वारा भेजे जाते हैं। प्रदेश में साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी ई-चालान’ के माध्यम से तकनीकी पेचीदगियों से अनजान लोगों को ठगने के मामले प्रकाश में आए है। आमजन ‘फर्जी ई-चालान’ के माध्यम से होने वाली धोखधड़ी या जालसाजी के शिकार नहीं हो, इसके लिए यह एडवाइलरी जारी की गई है।
ध्यान रखे…ई-चालान का मैसेज कभी वॉट्सएप पर नहीं भेजा जाता…
डीजीपी (साइबर अपराध) ने बताया कि ‘ई-चालन’ ऑनलाइन वाहनों के चालान रजिस्ट्रेशन के समय दर्ज मोबाईल नम्बर पर केवल एसएमएस द्वारा ही भेजा जाता है, वाट्सएप एप्लीकेशन पर कभी नहीं भेजा जाता है। अधिकृत एसएमएस का ‘हैडर’ केवल VAAHAN ही होता है। इस एसएमएस संदेश में विभाग द्वारा यातायात नियमों से सम्बंधित विवरण और चालान का भुगतान करने के लिए https://echallan.parivahan.gov.in लिंक भेजा जाता है। साइबर ठग इससे मिलते—जुलते नाम (यूआरएल) जैसे .rajasthan, .org से फर्जी ई-चालान बनाकर ठगी का प्रयास कर सकते है। ऐसे में वे नागरिक जिन्होंने यातायात नियमों का उल्लंघन किया ही नहीं हो, उनको भी फर्जी एसएमएस या वॉटसएप मैसेज भेजकर धोखाधड़ी का शिकार बनाया जा सकता है। उन्होंने नागरिको से अपील की है कि वे फर्जी और वैध एसएमएस की पहचान करके जालसाजी का शिकार होने से बचे।
कैसे करे वैध एसएमएस की पहचान
प्रियदर्शी ने बताया कि ई-चालान के लिए जो मैसेज प्राप्त होता है इसकी वैधता की पहचान या एसएमएस हैडर को जानने के लिए 1909 नम्बर पर एसएमएस भेजा जा सकता है। इसके लिए कोई भी व्यक्ति कैपिटल लैटर्स में DETAILS OF
डीजीपी (साइबर अपराध) ने बताया कि इसके बाद भी यदि भुगतान के लिए प्राप्त ई-चालान पर तनिक भी संदेह हो तो आम नागरिक यातायात पुलिस अधिकारी के पास उपलब्ध ‘पोस मशीन’ पर चालान नम्बर की जांच के बाद भुगतान कर सकता है। इसके अलावा ई-चालान का भुगतान mParivahan एप के माध्यम से भी किया जा सकता है।