राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अध्यक्ष नवीन महाजन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वैच्छिक भागीदारी मूलभूत आवश्यकता है इसके लिए बोर्ड एक नियामक संस्था के रूप में कार्य करने के साथ-साथ हितधारकों में स्वैच्छिक भागीदारी की भावना प्रोत्साहित करने की दिशा में भी काम कर रहा है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन कार्यक्रमों के तहत नगद पुरस्कार राशि का भी प्रावधान रखा गया है जिससे कि औद्योगिक इकाइयां ग्रीन फ्यूल में इन्वेस्ट करने के लिए प्रेरित हो सके।
महाजन ने कहा कि इस दिशा में कोई रनिंग यूनिट भी अगर कदम बढ़ाती है तो राज्य सरकार उनके साथ है। उन्होंने ई वेस्ट रीसाइकल को एक सतत प्रक्रिया के रूप में अपनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि वेस्ट रिसाईकल सेक्टर एक तेज़ी से बढ़ता सेक्टर है जिसे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मण्डल बोर्ड द्वारा प्रोमोट किया जा रहा है। महाजन शुक्रवार को प्रदूषण नियंत्रण मण्डल में आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौक़े पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मण्डल द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मण्डल द्वारा सीईटीपी एवं एसटीपी हेतु अवार्ड स्कीम में दो श्रेणियों प्लैटिनम और गोल्ड केटेगरी में क्रमश 21 लाख और 11 लाख रुपये का पुरस्कार विजेताओं को दिया जा रहा है जिसका प्रयोग यह इकाइयां सीईटीपी एवं एसटीपी उन्नयन हेतु कर सकती है। उन्होंने टेक्सटाइल इकाइयों में प्लांट को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज़ पद्धति पर लगाने की बात कर ज़ोर दिया।
महाजन ने बताया कि विभाग द्वारा ऑनलाइन सतत् उत्सर्जन निगरानी तंत्र की कठोरता से पालना और नियमित समीक्षा के परिणामस्वरूप ऑनलाईन सतत् उत्सर्जन निगरानी तंत्र इकाइयां गत छः महीनों में 475 से बढ़कर 651 हो गई है जो पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है इसके साथ साथ ही अब रियल स्टेट सेक्टर को भी अब पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मापदंडो के अधीन लाकर पर्यावरण स्वीकृति की कठोरता से अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है।
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल बोर्ड द्वारा लघु और सूक्ष्म इकाईयों को जटिल नियामक मापदंडों से मुक्त कर सरलीकरण किया जा रहा है जिससे रोजगार सृजन में मदद मिल सके। इस अवसर पर बोर्ड अध्यक्ष के साथ सदस्य सचिव नीरज माथुर एवं वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौज़ूद रहे।