राजस्थान राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, अविचल चतुर्वेदी का कहना है कि आज के दौर में बच्चों को इंटरनेट के नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए आध्यापकों की संवेदनशील और महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि नकारात्मक कंटेंट बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में कौशल विकास को बढ़ावा देना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वे राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद एवं हेमा फाउंडेशन, मुंबई के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित पीएम श्री संस्था प्रधानों की एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला में बोल रहे थे।
चतुर्वेदी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में शिक्षा में नैतिक मूल्यों पर जोर दिया। उन्होंने कहा राजकीय विद्यालयों में कुछ चीजों की आदत पड़ जाती है लेकिन पहल करके गलत परिपाटियों को तोड़ना होगा और रचनात्मक व गुणवत्तापूर्ण नावाचारों से वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि संस्था प्रधान समस्याओं के समाधान का सार्थक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि संस्था प्रधान आगे बढ़कर राजकीय विद्यालयों का कायापलट कर सकते हैं। उन्होंने संस्थाप्रधानों की ओर से किये गए नवाचारों की सराहना की और नावाचारों में अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने संस्था प्रधानों को आमजन के बीच अपनी साख को और उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि फील्ड में आप सभी शिक्षा विभाग के अम्बेसेडर हैं। पंचायत स्तर पर ग्रामीणों द्वारा संस्था प्रधानों को सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है।
चतुर्वेदी ने पीएम श्री विद्यालयों के संस्था प्रधानों से संवाद कर व्यावहारिक फीडबैक लिया। जिसमें पीएम श्री विद्यालयों में सौर ऊर्जा, निर्माण और पेयजल सुविधाओं सहित स्वीकृत अन्य कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। इसके साथ उन्होंने पीएम श्री विद्यालयों में प्री-प्राइमरी विद्यालयों की आवश्यकता को प्रतिपादित किया। इस अवसर पर पीएम श्री कम्पोनेंट प्रभारी डॉ. नीरू पोटलिया ने मंच संचालन किया।