कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का लोक अदालतों और मध्यस्था के माध्यम से शीघ्र निस्तारण किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से अधिक से अधिक प्रकरणों के निस्तारण के लिए प्रशिक्षित और कुशल मध्यस्थों की आवश्यकता हैं।
श्रीवास्तव शनिवार को एडीआर भवन में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के 27 मई से 31 मई तक सेवानिवृत व सेवारत न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के लिए आयोजित 40 घंटे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में सम्मिलित प्रयासों से मध्यस्थता के जरिए अधिकाधिक प्रकरणों का निस्तारण कर प्रदेश को अग्रणी बनाया जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे प्रशिक्षुओं का स्वागत करते हुए कहा कि मध्यस्थता के लिए न्यायाधीशों के साथ अधिवक्ताओं को भी शामिल करने की आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा कि कुशल व प्रशिक्षित मध्यस्थों द्वारा प्रकरण न्यायालयों में आने से पूर्व ही निस्तारित किये जा सकते हैं।
कार्यक्रम में न्यायाधिपति राजस्थान उच्च न्यायालय एवं जज् इंचार्ज मध्यस्थता बिरेंद्र कुमार ने कहा कि पूर्व काल से ही मध्यस्थता से प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है एवं देश में भी इस ओर कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता एक कला है जिसके माध्यम से जटिल से जटिल प्रकरणों को सरल तरीके से निस्तारित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में रालसा के पदाधिकारियों के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के पदाधिकारी, अध्यक्ष व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर महानगर-प्रथम, जयपुर महानगर-द्वितीय व जयपुर जिला, राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन व द बार एसोसिएशन के अधिकारीगण उपस्थित रहे।