जयपुर। कोरोना महामारी के दौरान इंसानियत भूल कर राजस्थान पुरातत्व विभाग के अधिकारी संवेदकों को परेशान करने में जुटे हैं और उनसे जबरन अंतर राशि वसूली जा रही है, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महीनों पहले ही संवेदकों से अंतर राशि नहीं वसूलने के आदेश जारी कर चुके हैं। सभी विभागों ने संवेदकों से अंतर राशि वसूलना बंद कर दिया है, लेकिन पुरातत्व विभाग और उसकी कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) में अधिकारी अंतर राशि वसूलने के लिए अड़े हुए हैं और मुख्यमंत्री के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
हाल ही में एडमा और पुरातत्व विभाग की ओर से निविदाएं निकाली गई है। इन निविदाओं में पूर्व की भांति अंतर राशि जमा कराने की शर्त जोड़ी गई है। जबकि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद विभाग संवेदकों से अंतर राशि की वसूली नहीं कर सकता है। पुरातत्व सूत्रों के अनुसार विभाग और एडमा के अधिकारी संवेदकों पर बेवजह दबाव बनाने के लिए इस शर्त को जारी रखे हैं।
संवेदकों का कहना है कि अधिकांश संवेदक बाजार से ब्याज पर पैसा उधार लेकर यह कार्य करते हैं। कोरोना के चलते पिछले आठ-नौ महीनों से संवेदक बेराजगार हैं, ऐसे में वह अंतर राशि कैसे जमा कराएं। यदि वह अंतर राशि जमा कराते हैं, तो उनके पास कार्यशील पूंजी की कमी हो जाती है। ऐसे में अधिकारियों को अपनी अमानवीय हरकतें छोड़नी चाहिए और तुरंत प्रभाव से अंतर राशि की शर्त निविदाओं से हटानी चाहिए।
संवेदकों का कहना है कि विभाग में चीफ अकाउंट्स ऑफिसर, डबल एओ और इंजीनियरिंग शाखा का कॉकस बेवजह संवेदकों पर दबाव बनाने में जुटा हुआ है, ताकि उनसे अनुचित लाभ लिया जा सके। कोरोना काल में अधिकारियों की इस मनमानी से परेशान संवेदक अब इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के पास जाने की तैयारी में है और कह रहे हैं कि वह विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में भी उन्हें अवगत कराएंगे।