जयपुर। राजस्थान का सबसे बड़ा कोविड डेडिकेटेड सेंटर राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) पर्यावरण मानकों को पूरा करने से बच रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले दो वर्षों से यूनिवर्सिटी में दो बड़े अस्पतालों का संचालन हो रहा है, लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से सहमति नहीं ली है, बल्कि वह इस गंभीर विषय को एसएमएस अस्पताल के मत्थे मढ़ने में लगा है। अब दो वर्ष बाद बोर्ड की ओर से आरयूएचएस को कहा गया है कि वह हॉस्पिटल संचालन के लिए सहमति ले।
क्लियर न्यूज ने 28 नवंबर को ‘पर्यावरण मानकों को पूरा किए बिना 2 साल से चल रहा है राजस्थान का सबसे बड़ा कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल आरयूएचएस’ खबर प्रकाशित करके बताया था कि आरयूएयएस ने दो वर्षों से पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से हॉस्पिटल संचालन की सहमति ही नहीं ले रखी है। बिना सहमति के यूनिवर्सिटी में दो अस्पताल नियमविरुद्ध संचालित किए जा रहे हैं।
खबर के प्रकाशित होने के बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिशाषी अभियंता विष्णु पुरोहित ने बताया कि हमारे आरओ ने सहमति के संबंध में आरयूएचएस प्रशासन से संपर्क किया था। इसके बाद आयूएचएस ने प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया था, लेकिन अभी तक प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे में यदि आरयूएचएस ने जल्द ही सहमति नहीं ली तो बोर्ड की ओर से कोई न कोई एक्शन लिया जाएगा।
पूरे मामले में साफ है कि आरयूएचएस बोर्ड से सहमति लेने के लिए तैयार ही नहीं है। ऐसे में आरयूएचएस में अन्य कई गड़बडियां सामने आ सकती है। हो सकता है कि आरयूएचएस और बोर्ड अधिकारियों में कोई मिलीभगत हो, तभी तो बिना सहमति के हॉस्पिटलों का संचालन होता आया है। यदि कोई छोटा हॉस्पिटल इस तरह की लापरवाही कर देता है तो बोर्ड के अधिकारी तुरंत एक्शन में आ जाते हैं, फिर इस मामले में इतनी मेहरबानी क्यों?
इस मामले में जितना आरयूएचएस दोषी है, उतने ही बोर्ड के अधिकारी भी दोषी हैं। सवाल यह उठता है कि नियमों की अवहेलना पर बोर्ड ने दो वर्षों से आरयूएचएस को कोई नोटिस तक नहीं दिया। अब देखने वाली बात यह रहेगी कि नियमों की अवहेलना के मामले में बोर्ड के अधिकारी लाचार नजर आएंगे या फिर कोई कार्रवाई करेंगे।
इस संबंध में जब हमने कोविड डेडिकेटेट सेंटर के प्रमुख डॉ. अजीत सिंह से चर्चा की तो उनका कहना था कि नियमों की अवहेलना गंभीर विषय है। हमारा काम सिर्फ यहां मरीजों का इलाज करना है, हॉस्पिटल के संचालन का जिम्मा आरयूएचएस पर ही है और सहमति के संदर्भ में वह अस्पताल प्रबंधन से चर्चा करेंगे।
सहमति के संबंध में आरयूएचएस के वाइस चांसलर डॉ. राजाबाबू पंवार व अन्य अधिकारियों से फोन पर जानकारी चाही गई, लेकिन न तो डॉ. पंवार और न ही अन्य कोई अधिकारी इस संबंध में चर्चा के लिए उपलब्ध हुए।