जयपुर। विधानसभा सत्र बुलाने को आतुर कांग्रेस को लगातार झटके पर झटके लगते जा रहे हैं। राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए सरकार की ओर से भेजा गया दूसरा प्रस्ताव भी अस्वीकार कर दिया है। राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा में सामाजिक दूरी की पालना करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है। उनकी सत्र न बुलाने की कोई मंशा नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। सरकार की ओर से सत्र बुलाने का दूसरा प्रस्ताव 25 जुलाई को प्राप्त हुआ। सरकार की ओर से प्रस्ताव में नाबाम राबिया बनाम बमांग फेलिक्स बनाम विधानसभा उपाध्यक्ष अरुणाचल प्रदेश मामले का उल्लेख किया गया है।
इस पर राज्यपाल ने विधिक राय ली और पाया कि यदि परिस्थितियां विशेष हों तो राज्यपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि विधानसभा का सत्र संविधान की भावना के अनुरूप आहूत किया जाए। विधानसभा के सभी सदस्यों की उपस्थिति के लिए उचित समय, उचित सुरक्षा, स्वतंत्र इच्छा, स्वतंत्र आवागमन, सदन की कार्रवाई में भाग लेने की प्रक्रिया को अपनाया जाए।
मीडिया और सरकार के बयानों से स्पष्ट हो रहा है कि सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है, लेकिन लेकिन प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है। यदि सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्प अवधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तियुक्त आधार बन सकता है।
वर्तमान में परिस्थितियां असाधारण है, इसलिए राज्य सरकार इन बिन्दुओं पर कार्रवाई कर दोबारा प्रस्ताव पेश कर सकती है।
. विधानसभा सत्र 21 दिन का क्लियर नोटिस देकर बुलाया जाए।
. अत्यंत्र महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनैतिक प्रकरणों पर बहस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की तरह ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किए जाएं।
. यदि विश्वास मत्र हासिल करने की कार्रवाई की जाती है तो सम्पूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए।
. सम्पूर्ण कार्रवाई की रिकार्डिंग कराई जाए और विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाए।
. विश्वास मत हां या ना के बटन से कराया जाए।
. यह स्पष्ट किया जाए के सत्र के दौरान 200 विधायकों और 1000 कर्मचारियों-अधिकारियों को संक्रमण का खतरा नहीं हो, यदि संक्रमण हुआ तो अन्य में फैलने से कैसे रोका जाएगा।