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रत्नों की रंगत से आबाद रहने वाली गलियां अभी भी वीरान

जयपुर। कभी रत्नों की रंगत से आबाद रहने वाली परकोटे की गलियां अनलॉक होने के बाद भी वीरान पड़ी है। यहां छोटी-छोटी गलियों में, हवेलियों में बनी जौहरियों की 50 फीसदी गद्दियों के ताले अभी तक खुले ही नहीं है। जो गद्दियां खुलती है, वह भी एक दो घंटे सिर्फ साफ-सफाई के लिए। शहर के जौहरी अभी गद्दियां खोलने के मूड में नहीं हैं। जवाहरात के कारीगर भी नदारद है।

जानकारों के अनुसार शहर के जौहरी कोरोना संक्रमण से डरे हुए है। जयपुर में कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रमण परकोटे में फैला है। इसलिए जौहरी अपनी सुरक्षा के चलते गद्दियां खोलने से बच रहे हैं। जौहरियों का मानना है कि यदि कुछ महीने कारोबार नहीं किया और अपने को संक्रमण से बचा लिया तो कारोबार की भरपाई आगे की जा सकती है।

जौहरी बाजार स्थित चाकसू का चौक स्थित गद्दी के मालिक विकास कोठारी का कहना है कि कई कारणों से जौहरी गद्दियों को खोलने से बच रहे हैं। पहला यह कि यह गद्दियां छोटी गलियों में एक-एक कमरे में बनी हुई है। यदि हम कारोबार शुरू करते हैं तो गलियों में भीड़ बढ़ जाएगी। ऐसे में गलियों में और गद्दियों पर सोश्यल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाएगी।

गलियों मे वाहनों के खड़े होने से लोग पहले की तरह कंधे से कंधा मिलाकर चलने को मजबूर हो जाएंगे। पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल करने के कारण भी संक्रमण हमारे तक फैलने का संकट खड़ा हो जाएगा।

कोठारी ने बताया कि परकोटे में 40 से 50 हजार छोटी-बड़ी गद्दियां है। कोरोना संक्रमण के कारण लाखों की संख्या में जौहरी, दलाल, कारीगर बेरोजगार चल रहे हैं, लेकिन संक्रमण से बचाव भी जरूरी है। शहर में नवाब का चौराहा, देवड़ी जी का मंदिर, गोपालजी का रास्ता में जवाहरात की मंडियां लगती थी, जिसमें हजारों की संख्या में दलाल, कारीगर, जौहरी जाते थे, लेकिन संक्रमण के कारण यह मंडियां भी बंद पड़ी है।

उल्लेखनीय है कि जयपुर रंगीन रत्नों के उत्पादन और विपणन का बड़ा केंद्र है। यहां सबसे ज्यादा कारोबार पन्ने का होता है। इसके अलावा सेमीप्रशियस स्टोन्स में सुनैला, कटैला, गारनेट, व्हाइट टोपाज आदि का भी काम होता है।

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