राजनीति

मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के पीछे की वजहें.. 20 भाजपा विधायक कांग्रेस के समर्थन में थे?

इंफाल। 30 जून 2023 को, एन. बीरेन सिंह ने राजभवन जाकर अपना इस्तीफा सौंपने का मन बना लिया था। उनके सहयोगियों के अनुसार, बीरेन सिंह ने महसूस किया कि उन्होंने जनता का विश्वास खो दिया है, क्योंकि दो मैतेई युवकों की मौत के बाद हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए थे।
जब उनके इस्तीफे की खबर फैली, तो उनके काफिले के आसपास भारी भीड़ जमा हो गई। इस कारण उन्हें वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा। उनके घर के बाहर कुछ महिलाओं ने उनका तैयार किया हुआ इस्तीफा फाड़ दिया, जिससे बीरेन सिंह ने सत्ता में बने रहने का एक और अवसर पा लिया। इस घटना ने उन्हें मैतेई समुदाय के बीच और मजबूत किया और उनकी ही पार्टी में आलोचकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
लेकिन वह दौर अब खत्म हो गया। 9 फरवरी 2025 को बीरेन सिंह ने भाजपा के पूर्वोत्तर संयोजक संबित पात्रा और विधायकों के एक समूह के साथ मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की और इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि, उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने को कहा गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मणिपुर की राजनीति में उनके नेतृत्व का अंत हो चुका है।
इस बार इस्तीफे की वजह क्या रही?
कांग्रेस ने 10 फरवरी को विधानसभा में बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, भाजपा के लगभग 20 विधायक इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने को तैयार थे, जिससे बीरेन सिंह की सत्ता खतरे में पड़ सकती थी।
इसके अलावा, उनके विरोधियों में पंचायती राज मंत्री वाई. खेचंद सिंह और विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह शामिल थे, जिन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और इंफाल में नेतृत्व परिवर्तन की मांग रखी थी। सूत्रों के अनुसार, इस असंतुष्ट गुट की मांग “गैर-परक्राम्य” थी – यानी बीरेन सिंह को इस्तीफा देना ही होगा।
बीते कुछ महीनों में बीरेन सिंह के विरोधी लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री इन दबावों को नजरअंदाज कर रहे थे। पिछले हफ्ते, वह दिल्ली आए और यह जताने की कोशिश की कि उन्हें पार्टी नेतृत्व ने नहीं बुलाया है। इसके बाद वे प्रयागराज चले गए और महाकुंभ स्नान किया। गुरुवार को उन्होंने पोस्ट किया, “यह पवित्र संगम हमारे सामूहिक संकल्प को मजबूत करे और हमें एक उज्जवल भविष्य की ओर मार्गदर्शित करे।”
लेकिन अगले 48 घंटों में घटनाक्रम तेजी से बदला। राज्यपाल अजय भल्ला, जो दिल्ली में मतदान के लिए गए थे, इंफाल पहुंचे और उसी दिन बीरेन सिंह दोबारा दिल्ली लौटे। रविवार सुबह उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और शाम को इस्तीफा दे दिया।
राजनीतिक समीकरण: सहयोगी दलों का मोहभंग
बीरेन सिंह पर पिछले दो वर्षों से इस्तीफे का दबाव था।
• 2023: जब मणिपुर में कुकी समुदाय की महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो सामने आया और सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया, तब भी वह पद पर बने रहे।
• नवंबर 2024: एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया, यह आरोप लगाते हुए कि मुख्यमंत्री मणिपुर में हिंसा रोकने में विफल रहे।
• जनवरी 2025: जेडीयू (JDU) के एकमात्र विधायक ने भी समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इसे ‘गलतफहमी’ बताया और कहा कि जेडीयू अभी भी सरकार के साथ है।
भाजपा के भीतर और सहयोगी दलों में हो रही हलचल के संकेत इंफाल से दिल्ली तक सुनाई दे रहे थे। बीरेन सिंह अब तक इन चुनौतियों का सामना करते रहे, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने आखिरकार तय कर लिया कि अब बदलाव का समय आ गया है।
क्या राज्यपाल की भूमिका निर्णायक रही?
बीरेन सिंह की सत्ता से विदाई में राजभवन की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
• 24 दिसंबर 2024 को, पूर्व गृह सचिव अजय भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
• भल्ला ने गृह सचिव के रूप में मणिपुर संकट को करीब से देखा था और उन्हें ज़मीनी हालात की गहरी समझ थी।
• राज्यपाल बनने के एक महीने के भीतर, उन्होंने पहाड़ी जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल में व्यापक फेरबदल किया। इसे “राजभवन की ओर से पहल” के रूप में देखा गया।
अब तक, केंद्र सरकार बीरेन सिंह को इसलिए बनाए रखना चाहती थी क्योंकि उनका मैतेई समुदाय में मजबूत समर्थन था और वह प्रशासनिक तौर पर सक्षम माने जाते थे। लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका था कि उन्होंने कुकी-जो-ह्मार समुदायों के साथ अपने सभी रिश्ते पूरी तरह तोड़ लिए थे।
इसलिए, एक “निष्पक्ष” प्रशासक, जो दिल्ली से समर्थन प्राप्त हो, अब एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि वह शांति प्रक्रिया में अधिक निवेशित हो सकता है।
अगले कदम: क्या होगा मणिपुर और बीरेन सिंह का भविष्य?
बीरेन सिंह के सम्मान की रक्षा के लिए, केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि तुरंत किसी असंतुष्ट भाजपा नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, अगले दो दिन कानून-व्यवस्था की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होंगे।
• पिछले अनुभवों से पता चलता है कि जब भी बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने की कोशिश की, उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किए।
• 9 फरवरी की शाम शांति से बीत गई, लेकिन सुरक्षा बलों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।
राज्यपाल भल्ला ने अविश्वास प्रस्ताव और प्रस्तावित विधानसभा सत्र को रद्द कर दिया है।
संभावित परिदृश्य:
1. बजट सत्र के बाद नए मुख्यमंत्री की घोषणा हो सकती है।
2. बीरेन सिंह को केंद्र में कोई नई भूमिका मिल सकती है।
3. मणिपुर में नई राजनीतिक रणनीति पर विचार किया जा सकता है, जिससे शांति प्रक्रिया को बढ़ावा मिले।
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के पीछे कई कारक रहे –
• भाजपा विधायकों की बगावत,
• सहयोगी दलों का सरकार से हटना,
• राजभवन द्वारा प्रशासनिक हस्तक्षेप,
• दिल्ली में भाजपा नेतृत्व द्वारा लिया गया बड़ा फैसला।
अब, मणिपुर के लिए नए नेतृत्व की खोज शुरू हो चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा किसी नए चेहरे को लेकर आती है या राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ती है।

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