जयपुरधर्म

5 दिवसीय महापर्व का दूसरा दिन रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी, आज करें यमराज से प्रार्थना करें कि परिवार किसी में अकाल मौत ना हो

रूप चतुर्दशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 06:32 से रात्रि 09:43 तक है। गोधूली बेला में पूजा का मुहूर्त काल सायं 05:37 से सायं काल 06:03 बजे तक है। इसके बाद पूजा का शुभ मुहूर्त काल रात्रि 07:14 बजे से रात्रि 08:51 बजे तक रहेगा। जो लोग निशीथ काल में करते हैं उनके लिए पूजा का मुहूर्त मध्य रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:31 बजे तक है।
पांच दिवसीय दीप महापर्व पर्व का दूसरा पर्व है रूप चतुर्दशी। इस बार चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर 2024 को 01:15 आरंभ हो रही है जो 31 अक्टूबर सायं 03:52 रहेगी। इसे छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह त्योहार उन लोगों को भी मनाना चाहिए जिन परिवारों में किसी की मौत आदि के कारण से यह त्योहार नहीं मनाया जाता हो। भगवान श्री कृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध किया था इसलिए इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी पड़ गया।
इस तरह करें पूजनः- नरक चतुर्दशी पर संध्या समय सरसों अथवा तिल्ली के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर यानी घर के बाहर यम दीपक प्रज्ज्वलित करें और धर्मराज के साथ पितरों का विशेष ध्यान करें। उन्हें नमन करके जीवन में मंगल हो, इसकी कामना करनी चाहए। विशेषतौर पर इस दिन धर्मराज यमराज और पितरों से यह प्रार्थना करें परिवार में किसी की कभी अकाल मृत्यु न हो। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जो भी दीप प्रज्ज्वलित करे वह पांच दीपक जरूर जलाये। एक अपने पूजा घर में, दूसरा रसोई में, तीसरा पानी के स्थान के पास, चौथा पीपल के पेड़ के नीचे और पांचवा यम दीपक देर रात्रि का प्रज्ज्वलित करना चाहिए। उल्लेखनीय यह है कि यम दीपक चार मुखी होना चाहिए।

Related posts

राजस्थान रोडवेज (Rajasthan Roadways) कर्मियों (Employees) के लिए राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) योजना लागू

admin

अवैध खनन (Illegal mining) और परिवहन (Transportation) के खिलाफ राजस्थान भर में (across Rajasthan) कार्यवाही तेज

admin

जयपुर जिले की सांभर झील से अवैध बोरवेल और बिजली कनेक्शन हटाने के निर्देश

admin