समारोह

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ठाणे के भिवंडी में राष्ट्रीय ध्वज फहराया

मुंबई। 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। ध्वजारोहण के पश्चात उन्होंने तिरंगे को सलामी दी। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व भारत से मार्गदर्शन की प्रतीक्षा कर रहा है। ऐसा भारत बनाना, जो विश्व का पथप्रदर्शन कर सके, हम सभी का नैतिक दायित्व है।
तिरंगे में निहित धम्म चक्र का महत्व
भागवत ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज के केंद्र में स्थित धम्म चक्र समरसता, समानता और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह बंधुत्व और समाज में सामंजस्य का संदेश देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो व्यक्ति अपने परिवार का विस्तार करता है, वह सराहनीय है। वही व्यक्ति, यदि अपने गांव की सेवा करता है, तो उसकी प्रतिष्ठा और बढ़ जाती है। और जिस गांव से देश को महान व्यक्तित्व मिलते हैं, उस गांव का गौरव भी बढ़ता है।
धर्म और उसके स्वरूप की व्याख्या
उन्होंने धर्म के विषय में कहा कि पूजा, खानपान और रीति-रिवाज धर्म का एक हिस्सा हैं, लेकिन ये धर्म का संपूर्ण स्वरूप नहीं हैं। धर्म का मूल स्वरूप वह शाश्वत सच्चाई है, जो देश, काल और परिस्थिति के अनुसार व्यवहार में आती है। इसे समझना और अपनाना आवश्यक है।
आने वाली पीढ़ी से अपेक्षाएं
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा संविधान सभा में दिए गए भाषण का संदर्भ देते हुए भागवत ने कहा कि बंधुत्व ही धर्म का सार है। विश्व के अन्य देशों में अध्यात्म पूजा और परंपराओं तक सीमित है, लेकिन भारत में यह जीवन के चार पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – में व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी न केवल इन मूल्यों को समझेगी, बल्कि उन्हें अपनाते हुए भारत को और भी ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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