केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हो गया है और मंत्रिपरिषद के विभागों का बंटवारा भी हो गया है। वहीं, दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत ने संकेतों में केंद्र सरकार को परामर्श दे डाला है। उन्होंने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के द्वितीय समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर एक साल से हिंसा की आग में जल रहा है और एक साल से शांति की राह देख रहा है। इसे प्राथमिकता से करने पर विचार करना चाहिए। भागवतने कार्यकर्ताओं से कहा कि काम करें, पर मैंने किया इसका अहंकार ना पालें, वही सही सच्चा सेवक है।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है। चुनाव प्रचार में एक दूसरे को लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान शब्दों का संभलकर उचित उपयोग करना चाहिए। विरोधी की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए। भागवत ने कहा कि चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र में हर पांच साल होने वाली घटना है। हम अपना कर्तव्य करते रहते हैं लोकमत परिष्कार का। प्रतिवर्ष करते हैं, प्रति चुनाव में करते हैं, इस बार भी किया है। भागवत ने कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। इस पर प्राथमिकता से उसका विचार करना होगा।
भागवत ने कहा कि चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव संपन्न हुए, उसके परिणाम भी आए। सरकार भी बन गई, यह सब हो गया। लेकिन उसकी चर्चा अभी तक चलती है। जो हुआ वह क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ? यह अपने देश के प्रजातांत्रिक तंत्र में हर पांच साल में होने वाली घटना है। उसके अपने नियम हैं। डायनेमिक्स के अनुसार होता है, लेकिन यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है। समाज ने अपना मत दे दिया, उसके अनुसार सब होगा। क्यों, कैसे, इसमें हम लोग नहीं पड़ते। हम लोकमत परिष्कार का अपना कर्तव्य करते रहते हैं। हर चुनाव में करते हैं, इस बार भी किया है। बाकी क्या हुआ इस चर्चा में नहीं पड़ते।