टेक्नोलॉजीदिल्ली

वर्टिकल टेक-ऑफ: आसमान में सीधे उड़ेंगे रूसी लड़ाकू विमान

रूस की विमानन कंपनी अब अमेरिकी एफ-35 की तरह वर्टिकल टेकऑफ विमान विकसित करने जा रही है। इस कंपनी का नाम याकोवलेव डिजाइन ब्यूरो है। याकोवलेव ने 1970 के दशक में याक-38 वर्तिकल टेक ऑफ विमान विकसित किया था। इसके बाद कंपनी ने याक-141 को बनाने का भी काम शुरू किया था।

रूसी विमानन कंपनी याकोवलेव डिजाइन ब्यूरो अमेरिका के एफ-35 की तरह वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग सक्षम फाइटर जेट बनाने जा रही है। याकोवलेव के महानिदेशक आंद्रेई बोगिंस्की ने बताया कि उनकी कंपनी पांचवीं पीढ़ी के वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग करने में सक्षम विमान के विकास को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि रूसी रक्षा मंत्रालय अगर ऐसे विमान को बनाने को कहता है, तभी वह आगे बढ़ेंगे। याकोवलेव डिजाइन ब्यूरो ने 1970 में वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग करने में सक्षम याक-38 को विकसित किया था। याक-38 का उत्तराधिकारी, याक-141 कार्यक्रम विकास के एक उन्नत चरण में पहुंच गया था, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन की पूर्व संध्या पर इसे रद्द कर दिया गया था।
कंपनी के डायरेक्टर जनरल ने क्या कहा
बोगिंस्की ने कहा, ‘हमारे डिजाइनरों ने लड़ाकू विमानन की पांचवीं पीढ़ी के स्तर के अनुरूप और भी अधिक उन्नत विमान बनाने की संभावनाओं का पता लगाया है। 1990 के दशक की कठिनाइयों में वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग विमान का विषय काफी मुश्किल था, लेकिन हमने उनके विकास के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी आधार को बनाए रखा है।’
बोगिंस्की ने कहा कि इस ज्ञान को बनाए रखने से, ‘नई विमानन प्रौद्योगिकियों के साथ, हम वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग विमान के निर्माण पर जल्दी से वापस आ सकेंगे, अगर रूसी रक्षा मंत्रालय हमें यह कार्य सौंपता है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि याकोवलेव एकमात्र रूसी सैन्य विमान निर्माता है, जिसके पास ऐसे विमान बनाने का प्रासंगिक अनुभव है।
याकोवलेव वर्टिकल टेक ऑफ विमानों का पुराना खिलाड़ी
याकोवलेव ने 1950 के दशक में इस तकनीक के साथ प्रयोग करना शुरू किया। याक-36 ने साठ साल पहले 27 जुलाई, 1964 को पारंपरिक उड़ान मोड में अपनी पहली उड़ान भरी थी। दो महीने बाद, 27 सितंबर, 1964 को, विमान ने अपना पहला होवर किया और क्षैतिज उड़ान का प्रदर्शन किया। मार्च 1966 में ऊर्ध्वाधर टेक-ऑफ और लैंडिंग के साथ एक पूर्ण प्रोफाइल उड़ान आयोजित की गई। उस समय चार याक-36 प्रोटोटाइप बनाए गए, जिनमें एयर इंटेक और उड़ान विशेषताओं को बेहतर बनाने के प्रयास में परियोजना का व्यापक परीक्षण और टिंकरिंग किया गया।
रूसी याक-38 विमान को जानें
याक-36 कार्यक्रम को याक-36एम कार्यक्रम के रूप में पुनः नामित किया गया, और अंततः याक-38 कार्यक्रम को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप 1976 में सोवियत नौसेना विमानन में याक-38 को सफलतापूर्वक पेश किया गया, जिसका उपयोग प्रोजेक्ट 1143 क्रेचियेट (शाब्दिक रूप से ‘गिरफाल्कन’) कीव-क्लास के विमान वाहक पोत पर किया गया, जो एक दर्जन याक-38 का विमान को ले जाने में सक्षम है।
याक-36एम विमान में थे तीन इंजन
इस अद्वितीय, तीन इंजन वाले विमान (1 टुमांस्की आर-28 वी-300 वेक्टर थ्रस्ट टर्बोफैन और 2 आरडी-38 टर्बोजेट) को एक चालक उड़ाता था। इस विमान की अधिकतम गति लगभग 1,300 किमी प्रति घंटा थी, 11 किमी की सर्विस सीलिंग और ऊर्ध्वाधर टेकऑफ और लैंडिंग करने में सक्षम था। यह जेट 23 मिमी ऑटोकैनन से लैस था और इसमें 2 टन तक के हथियारों के लिए चार हार्ड पॉइंट थे, जिसमें केएच-23 एयर-टू-सरफेस और आर-60 एयर-टू-एयर मिसाइल से लेकर क्लस्टर, आग लगाने वाले और एफएबी सीरीज फ्री-फॉल बम शामिल थे। दुश्मन के कैरियर ग्रुप के खिलाफ ऑपरेशन के लिए डिजाइन किए गए आरएन-28, आरएन-40 और आरएन-41 सामरिक परमाणु हथियार भी उपलब्ध थे।

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