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सचिन नहीं, सचिन के साथ गए विधायकों को वापस बुलाने की कवायद

जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ताकत दिखा दी है। गहलोत 109 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं। बहुमत का आंकड़ा होने के बाद भी कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट खेमे को मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि यह प्रयास सचिन पायलट को मनाने के लिए नहीं हो रहे हैं, बल्कि सचिन के साथ गए विधायकों को मनाने के हो रहे हैं।

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि पिछले तीन दिनों में जो भी कुछ ड्रामा हुआ, पायलट को गद्दार कहा गया। पुलिस ने उन्हें नोटिस दिया। इस पूरे संकट के लिए पायलट को दोषी बनाया गया, उसके बाद सचिन पायलट का कांग्रेस में वापस आना संभव नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस का जोर इस बात पर है कि पायलट के साथ जो भी विधायक हैं, उन्हें किसी तरह से वापस लाया जाए।

इसके दो फायदे होंगे। एक तो बागी तेवर अपनाने वाले पायलट अकेले पड़ जाएंगे। वहीं दूसरी ओर उनके गुट के विधायकों की वापसी से प्रदेश में कांग्रेस सरकार ज्यादा मजबूत हो जाएगी। कहा जा रहा है कि इसी कारण से सचिन पायलट से किसी प्रकार की बातचीत कांग्रेस की ओर से नहीं की जा रही है, बल्कि उनके साथ के विधायकों से ही बात की जा रही है और मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि उनकी फिर से वापसी हो सके।

जानकारों का कहना है कि अभी सरकार ने जादुई आंकड़ा प्राप्त कर लिया है, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा फिर से तोडफ़ोड़ की साजिश करेगी। ऐसे में सरकार को मजबूत करने के लिए पायलट खेमे के विधायकों की वापसी अति आवश्यक है।

कांग्रेस का मानना है कि पायलट की वापसी का कोई फायदा नहीं मिलेगा। यदि पायलट वापस कांग्रेस में आते हैं, तो फिर से पार्टी में गुटबाजी होने लगेगी, जो प्रदेश में सरकार को फिर से संकट में खड़ा कर सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि पार्टी पायलट के आगे कुछ झुकती है तो भविष्य में कांग्रेस में अन्य कई महत्वाकांक्षा वाले पायलट खड़े हो सकते हैं।

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