जयपुरराजनीति

पायलट को राष्ट्रीय महासचिव बनाने की तैयारी, टिकट वितरण में रहेगा दखल

वे सीटें जहां पायलट का प्रभाव है, वहां सहमति से ही टिकट दिए जाएंगे। पूर्वी राजस्थान समेत अन्य इलाकों में 40 से 45 सीटों पर पायलट का प्रभाव माना जाता है। एआईसीसी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अंदरखाने हुए फैसले के बाद इस बारे में कांग्रेस नेतृत्व की ओर से उनको बता दिया गया है।
सचिन पायलट को कांग्रेस की नेशनल लीडरशिप में सक्रिय किया जाएगा। पायलट को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम में राष्ट्रीय महासचिव बनाने का फैसला हो चुका है। इसके बाद पायलट कांग्रेस की 35 नेताओं की टॉप लीडरशिप वाली टीम में जगह बना लेंगे। उन्हें किसी बड़े राज्य के प्रभारी की कमान दी जाएगी। इधर, राजस्थान में उनकी सीधी भूमिका नहीं होगी, लेकिन उनके प्रभाव को देखते हुए महत्वपूर्ण सीटों पर प्रचार के लिए कांग्रेस उपयोग करेगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- कांग्रेस में हर लीडर की भूमिका उसके कद के हिसाब से तय होती है। पायलट की भूमिका भी उसी हिसाब से तय होगी। राजस्थान का चुनाव हम एकजुटता के साथ लड़ेंगे और फिर से सरकार बनाएंगे।
40-45 सीटों पर प्रभाव, समर्थक होंगे एडजस्ट
राजस्थान चुनावों में भले ही पायलट के पास सीधे तौर पर कोई जिम्मेदारी न रहे, लेकिन टिकट वितरण में उनकी राय को अहमियत मिलेगी। पायलट समर्थकों को टिकट वितरण में एडजस्ट किया जाएगा। वे सीटें जहां पायलट का प्रभाव है, वहां सहमति से ही टिकट दिए जाएंगे। पूर्वी राजस्थान समेत अन्य इलाकों में 40 से 45 सीटों पर पायलट का प्रभाव माना जाता है।
एक साथ होगी पूरी टीम की घोषणा
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय टीम में फेरबदल एक साथ होगा। अकेले पायलट के नाम की घोषणा नहीं होगी। खड़गे की पूरी टीम एक साथ सामने आएगी। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं का मत है कि बीच लड़ाई में सेनापति नहीं बदला जाता। ऐसे में यह साफ है कि राजस्थान का चुनाव गहलोत की योजनाओं और उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। भले ही कांग्रेस की ओर से यह कहा जा रहा है कि चुनाव में कोई चेहरा नहीं होगा, लेकिन सीएम रहते अशोक गहलोत ही चुनाव में अघोषित रूप से कांग्रेस का चेहरा होंगे।
भूलो, माफ करो… आगे बढ़ो
तीन साल के संघर्ष के बाद आखिरकार पायलट ने आलाकमान की ‘भूलो…माफ करो, आगे बढ़ो’ नसीहत मान ली। हालांकि इस संबंध में दिए बयान के 60 घंटे बाद भी सामने का पक्ष ‘स्वागत’ के लिए आगे नहीं आया है।

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