भारतीय संस्कृति विशेषतौर पर सनातन संप्रदाय में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। श्राद्ध पक्ष प्रत्येक वर्ष आश्विन माह में आते हैं। ये पक्ष या पंद्रह दिन हमें हमारे पूर्वजों को याद करने के लिए नियत किये गये हैं। हमारे पूर्वजों में से ही कुछ पितृ देव होते हैं। सभी के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए हमें उनके निमित्त तर्पण (तर्पण की विधि और श्राद्ध कैसे करें, यह हम अपने अगले आलेख में बताएंगे) करना ही चाहिए। हमारे कुछ पूर्वज ऐसे भी होते हैं जो किसी कारण से पूर्ण आयु नहीं कर पाते हैं। विशेषतौर पर जब किसी पूर्वज की मृत्यु आग से, जहर से या किसी गंभीर बीमारी, जल में डूबने या आत्महत्या अथवा हत्या द्वारा होती है। ऐसा माना जाता है कि इन पितरों की अकाल मृत्यु हुई है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा तीनों लोकों में भटकती रहती है। उनकी शांति के विशेषतौर पर श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए।
हम अपने पूर्वजों को अन्न-जल प्रदान करें। जब श्राद्ध पक्ष या प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि आती है तो हमारा कर्तव्य है कि हम पूरे विधि-विधान से यथाशक्ति पूर्वजों का आह्वान करें, उनको अन्न-जल ग्रहण कराएं और उनका तर्पण करें ।
संवत् 2019 आश्विन माह सन् 2022 के श्राद्ध पक्ष की तिथियां इस प्रकार है..
पितृपक्षमहालय कन्यागतश्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष 2023
सभी श्राद्ध का समय दोपहर 12 बजे के पश्चात है।
दिनाँक 29 सितंबर शुक्रवार,*पूर्णिमा पूनोश्राद्ध*
दिनाँक 29 सितंबर शुक्रवार
प्रतिपदा पड़वाश्राद्ध दोपहर 03:27 के पश्चात
दिनाँक 30 सितंबर शनिवार,*पड़वाश्राद्ध दोपहर 12:20 तक*
तदुपरांत दौजश्राद्ध
दिनाँक 01 अक्टूबर रविवार,*तृतीया तीजश्राद्ध*
दिनाँक 02 अक्टूबर सोमवार, चतुर्थी चौथश्राद्ध
दिनाँक 03 अक्टूबर,मंगलवार, पंचमीश्राद्ध
दिनाँक 04 अक्टूबर बुधवार,*षष्ठी छठश्राद्ध*
दिनाँक 05 अक्टूबर गुरूवार, सप्तमी श्राद्ध
दिनाँक 06 अक्टूबर शुक्रवार, अष्टमीश्राद्ध
दिनाँक 07 अक्टूबर शनिवार, नवमीश्राद्ध
दिनाँक 08 अक्टूबर रविवार, दशमीश्राद्ध
दिनाँक 09 अक्टूबर सोमवार, एकादशीश्राद्ध
दोपहर 12:36 के पश्चात
दिनाँक 10 अक्टूबर मंगलवार, एकादशी श्राद्ध
दोपहर 03:08 तक
दिनाँक 11 अक्टूबर बुधवार, द्वादशी श्राद्ध
दिनाँक 12 अक्टूबर गुरूवार, त्रयोदशी तेरसश्राद्ध
दिनाँक 13 अक्टूबर शुक्रवार, चतुर्दशी चौदसश्राद्ध
दिनाँक 14 अक्टूबर शनिवार, सर्वपितृ अमावस्याश्राद्ध ,पितृ विसर्जन